सरारती बच्चा : एक छोटे बच्चे की जीवन सैली
एक माँ बाप के चार बच्चे थे । तीन लङके तो सीधे साधे और समझदार थे लेकिन सबसे छोटा वाला लङका बहुत सरारती था । वह पुरे दिन कुछ न कुछ सरारत करता रहता था घर के सभी लोग इससे परसान रहा करते थे वो अपनी सरारती से कभी घर का गमला तोङ देता था तो कभी घर का बर्तन प्लेट तोङ देता था ।
इसकी मा इसे बहुत डाटती थी बोलती थी लेकिन फिर भी अपनी सरारती से बाज नही आता था । इसके तीनो भाई रोज स्कूल जाते थे और अच्छे से पढाई करते थे लेकिन इसका सरारत करने के सिवाय पढाई मे मन नही लगता था । और ये स्कूल भी नही जाना चाहता था

माँ बाप के दबाव से क्या हुआ

एक दिन इसके माँ बाप सोचे की दिन पर दिन ये बङा होते जा रहा है लेकिन इसका सरारत बढता ही जा रहा है और साथ ही ये पढ भी नही रहा है । इसलीए इसके पिता जी एक दिन इसको जबरदस्ती ले जाकर स्कूल मे नाम लीखवा दिये और रोज जबरदस्ती इसको स्कूल ले जाकर पहुंचाते थे ।
ताकि सायद कुछ दिन मे ये सुधर जाए और इसका पढने मे मन लग जाए ।
ऐसे करत और स्कूल ले जाते एक साल हो गई लेकिन इसके सौभाव मे कोई परिवर्तन नही हुआ क्यो की इसके मां बाप डाटते तो थे लेकिन ये स्कूल मे सरारत करता किसी से झगङा करता या फिर कोई गल्ती करता तो उस समय सबके सामने इसके गल्ती पर पर्दा भी डालते थे । इसी वजह से ये कभी नही सुधर पाया ।
एक दिन ऐसा भी आया
इसके मन मे था की अगर हम किसी से झगङा करते है तो हमारे पिछे हमारे बाप है ही । यही सोचकर एक दिन ये स्कूल से अकेला ही आ रहा था क्यो की इसको पिता कही दुसरे जगह चले गए थे । वो अकेला ही स्कूल से अपने घर आ रहा था तभी रास्ते मे एक कुत्ता आराम से बङा ही शान्त बैठा था ।
ले इसको देखकर इस लङके को सरारत सुझी और उस बैठे हुए कुत्ते के उपर बार बार मिटी फेकने लगा लेकिन फिर भी कुत्ता कुछ नही बोला तो अपने स्कूल बैग से कलम निकाल कर उस कुत्ते को पिछे से चुभाने लगा । इस पर वह कुत्ता गुस्से मे आकर इस लङके कर तुट पङा और जोर जोर से काटने लगा और ये लङका जोर जोर से रोने चीलाने लगा ।
उस रास्ते से उसके स्कूल कई सारे लङका आ रहे थे
लेकिन कोई भी लङका उस कुत्ते को भगाने की कोसीस नही की वोसभ यही बोल कर चले गए की इसे कौन बचाएगा ये तो हम हभ से हमेशा झगङा ही करता रहता है । ये लङका मदद के लीए चलाता रहा लेकिन इसे किसी ने नही बचाया ।
कुत्ता इसे पुरी तरह से काट कर खुन निकाल दिया था ।
किसी तरह से जान छुङा कर वहा से भागा । उस लङके को इसकी सरारत की सजा मिल गया । उस दिन के बाद वह पुरी तरह से सुधर चुका था । ये अब सरारत करना छोङ दिया और स्कूल मे भी किसी लङके से कभी भी लङाई झगङा नही करता था । ये अब सबसे मिल जुल कर रहने लगा ।