
भक्ति मे सक्ति : बचपन मे ही भक्ति मे मन लग गई
एक गांव मे एक सरकारी टीचर रहते थे उनके चार बेटे थे । उस टीचर ने अपने चारो बेटे को पढा लिखा कर समाज के काबिल और योग्य ईन्सान बनाना चाहते थे इसलिए एक अच्छे से स्कूल मे नाम लीखवाए । टीचर के तीन लङके पढने मे बहुत अछे थे ।
लेकिन सबसे छोटा वाला पढाई से जादा पुजा पाठ मे मन लगाता था । वह बजार से एक दुर्गा माँ का छोटा मुर्ति लाकर घर पर ही रोज पुजा पाठ करता था और प्रती दिन साम को आरती लगाया करता था । इसका सिर्फ पुजा पाठ मे समय बिताने की वजह से इसके पिता जी इस पर नाराज रहते थे ।
एक पिता होने नाते वह यही चाहते थे की यह तीनो बेटे के जैसा ये भी पढने लिखने मे मन लगाए । इस वजह से इसे प्रती दिन अपने पिता जी से डाट सुननी पङती थी । लेकिन यह अपने पिता जी से डाट सुनने के बाद भी पुजा पाठ मे कोई कमी नही किया ।
भक्ति मे क्या क्या कठिनाई हुई
समय के साथ उन मास्टर के चारो बेटे बङे हुए । मास्टर के तीनो बेटे एक अच्छे – अच्छे पद पर नौकरी पालीए थे। समय के साथ तीनो की शादी हो गई लेकिन सबसे छोटे वाले की शादी नही हुआ क्यो की ये सिर्फ पुजा पाठ के अलावा कोई काम नही करता था ।
एक दिन ईसके पिता जी सोचे की मेरे तीनो बेटे तो तो अच्छे – अच्छे पद नौकरी पाकर अछा जीवन बिता रहे है । इस लीए इसे बहुत समझाए की पुजा पाठ छोङ कर कही काम धंधा करे ताकी इसका भी शादी-ब्याह हो जाए और जीवन अच्छा चले लेकिन ये बात नही मने ।भक्ति मे परीक्षा और इसका फल
अपने पिता की बात नही मानने पर इसके पिता और तीनो भाई इसे अलग कर दीये। पिता ने इसे अपने घर से भी निकाल दिए। घर से बेदखल होकर वह अपना छोटा वाला मूर्ति लेकर दर – दर की ठोकर खाने लगा । पुरे दिन भटकने के बाद रात को एक पेङ के नीचे माँ दुर्गा के भरोसे भुखा पेट ही सो गया ।
यही सोचकर की माँ को जो मंजुर होगा वही होगा । लेकिन माँ के भरोसे एक पुत्र भुखा पेट और परेशानी मे कैसे रह सकता है । रात के अंधेरे मे एक बहुत तेज प्रकाश हुई । प्रकाश की रोशनी से लङके की आख खुली तो देखकर दंग रह गया । लाल साङी मे सर पर मुकुट हाथो मे सस्त्र लीए।
लङका देखकर दंग रह गया उसने पुछा की आप कौन हो । पब माता बोली की , हम तुम्हारे दुर्गा माँ है । हम अपने भक्त को दुखी नही देख सकते इसलिए हम तुम्हे एक अंगठी दे रहे है । ईस अंगुठी को अंगुली से रगर कर जो भी मांगोगे वो सभ चीज तुम्हे मिल जाएगी । लङका माता का दिया हुआ अंगुठी पाकर बहुत खुस हुवा और उसने उस अंगुठी से अब धन दौलत घर मकान सबकुछ पा लिया । अब घरवाले भी खुश रहने लगे ।