
भाई भाई का प्यार : भाई से भाई का लगाव क्या होता है
एक गांव में एक किसान रहता था । उसके दो बेटे थे बड़ा बेटा जिसका नाम राम था ओ काफी समझदार और पढ़ने में भी ठीक था ये अपने छोटे भाई लखन को से को जन से भी अधिक मानता था क्यों कि वह छोटा था इसलिए राम अगर कुछ खाता था तो अपने हिस्से में भी अपने छोटे भाई दे देता था ।
पढ़ाई के समय में भी अगर लखन की कॉपी खत्म हो जाती थी तो राम अपना कॉपी उसे दे देता था । लेकिन लखन को इस बात की अहसास नहीं होती थी क्यों कि वह छोटा था वो अपने बड़े भाई के प्यार और त्याग को नहीं समझ पाता था वो यही समझता था कि हमारा तो हम है मगर यह नही समझ पाता था कि बड़ा भाई अपना हक में भी तुम्हे दे रहा है

बड़े भाई फर्ज एक अलग ही होता है ।
धीरे धीरे समय बीतता गया और समय के साथ दोनों बड़े हो गए । राम पढ़ने में काफी ठीक था इस लिए उसे बड़े कंपनी में एक अच्छे पद पर नौकरी मिल गई मगर लखन कुछ भी नहीं करता था वो गाम में अपने दोस्तो के साथ घूमता रहता था । मगर इसका सारा खर्चा राम ही देता था ।
राम की शादी भी हो गई लेकिन लहन की शादी ब्याह में बहुत दिक्कत होती थी क्यों कि वो कुछ नहीं करता था और अपने आवारा दोस्तो के साथ सिर्फ घूमता रहता था । इसके पिता भी इसको बोलते रहते थे और गए घर तो तन मारता ही था । यह सभ देखते हुए राम ने लखन से अपने ही कंपनी में नौकरी करने को कहा तो लखन बोल दिया कि हम हेलफर की नौकरी नहीं करेंगे ।
तब राम ने अपने मालिक से अपने भाई के लिए अच्छे पद पर नौकरी की बात की तो मालिक ने बोल दिया कि पद के लिए जगह नहीं है फिर राम ने अपने जागर पर लखन को रखने के लिए बोला । मालिक ने इसे खूब समझाया कि अपना अच्छा खासा पद क्यों छोड़ रहे हो फिर तुम्हे हेलफरी करनी पड़ेगी लेकिन फिर भी राम ने बोल की नहीं सर मेरे भाई को ये वाला ओकरी दे दीजिए बेशक हम हेल्फरी करेंगे । राम के कहने पर मालिक ने ऐसा ही किया ।
अहंकार में छोटे भाई कैसे आता है
लखन कम पर लग जाता है और बड़ा भाई राम वही पर अब हेल्फरी की नौकरी करने लगता है । राम अपने छोटे भाई को उस पद पर नौकरी करते देख बहुत खुश होता है लेकिन को लगता है कि मुझे अपनी काबिलियत पर नौकरी मिली है इस लिए अपने भाई को हेल्फरी करते देख उसे गिरी हुई नजर से देखने लगता है.
अपने आप को बड़ा समझने लगता है ।
फिर कुछ दिन बाद लखन की शादी हो जाती है और कुछ दिन बाद अपने बड़े भाई राम से अलग हो जाता है । राम बहुत समझाया कि हम सभ साथ में रहते है लेकिन लखन नहीं समझा । लखन को लगने लगा कि हमारी तनख्वाह जड़ा है इसलिए अपने हेलफर भाई से अलग हो जाएंगे तो मौज करेंगे और बड़ा भाई मुझसे नीचा रहेगा ।
फिर इससे भी मन नहीं भरा तो एक दिन लखन अपने मालिक से बोला कि सर राम को नौकरी से निकल दीजिए क्योंकि इससे ठीक से कम नहीं हो पाता है । मालिक ने लखन की मुंह से ऐसी बात सुन कर चौक जाता है फिर गुस्से से लखन से कहते है ।कि अगर आज तुम जिस पद पर नौकरी कर के मौज कर रहे हो वो राम की देन है ।
राम मुझसे रिक्वेस्ट कर के अपना पद तुम्हे दिया है और खुद हेल्फरी कर रहा है वो अपना सुख तुम्हे देकर खुद दुख में है । लखन अपने भाई की ऐसी दी हुई त्याग सुन कर आंख से आंसू आजाते है उसे अपनी गलती पर पछतावा होने लगता है और कहने लगता है राम भईया बहुत महान है फिर अपने भाई से हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहने लगता है भईया मुझसे गलती हो गई । राम अपना बड़ापन दिखा कर इसे माफ कर देता है और फिर एक साथ मिल जुल कर प्यार से रहने लगते है