
मां की महिमा : सुबह सुबह मा का नाम सुना तो
सुबह का समय था जब मैं सो कर जगाती आंख खुलते ही मेरे कानो में जय माता दी दी आवाज सुनाई दिया । और आवाज भी बहुत सारे लोगों की लग रही थी । सुबह सुबह इतने सारे लोगों की आवाज सुनकर मैं भी चकित में पद गया । आखिर क्या बात है कही जग हो रही है या फिर कही किसी के घर पूजा हो रही है ।

बाहर निकल कर देखा तो बहुत सेल लोग कंधे में छोटा छोटा बेग लटकाए जा रहे है । फिर मैं एक आदमी से पूछा । भाई आखिर इतने सारे लोग आखिर जा कहा रहे है ? फिर उस आदमी ने कहा कि भाई साहब हम सभी लोग वैष्णव माता के धाम जा रहे है । मां की कृपा से हमारा भी एक मानसा पूरा हुआ है ।
अगर मा का बुलावा आए तो हर व्यवस्था हो जाती है
मां की महिमा और इतने सारे लोगों को जाते देख मेरा भी मन मा का दर्शन करने को करने लगा । मगर क्या करे मेरे पास पचास रुपए भी नहीं था । अपनी घर में जाकर यही सोच रहा था कि अगर मेरे पास भी पैसा रहता तो हम भी सारे लोगों के साथ चले जाते ।
सोचते सोचते करीब आधा घंटा बीत गया था । तभी दरवाजे से किसी की आवाज सुनाई दिया । जब दरवाजे पर गया तो देख एक आदमी हाथ में पैसा लिए खड़ा था । मैने पूछा कि भाई क्या बात है तो उसने मेरे हाथ में पैसा देते हुए कहा । भाई ये पैसा रख लो तुम्हारे पिता ने मेरे पिता जी को उधारी दिए थे ।
मां हर पल अपने भक्तों का ख्याल रखती है ।
ये मा की महम ही है जो थोड़े देर पहले मेरे पास कुछ नहीं था अब दस हजार आगया। जिस पैसे का मुझे मालूम भी नहीं था । अब मैं भी अपना तैयारी कर के मा वैष्णव धाम निकल गया ।ऊंचे पहाड़ों में बसने वाली माता के यह 1008 सीढ़ियां चढ़ कर जाना था । जब मैं वह पहुंचा तो सीढ़ियों की ऊंचाई देख कर मेरा हिम्मत हार गया ।
सोचा यही से मा को नाशकार कर के लौट आऊ फिर नजाने कहा से मेरे अंदर हिम्मत आई और मैं पूरा सीढ़ी चढ़ कर मा का दर्शन किया फिर प्रसाद और मा की एक फोटो खरीदा और मा का आशीर्वाद लेकर घर आगया।
अब मैं रोज मा की तस्वीर को मां का नाम लेकर पूजा करने लगा । एक दिन तो चमत्कार हो गया जो कम मेरे हाथ से निकल गया था । वह से खुद बुलावा आया और कम मिल गया । अब मा वैष्णो देवी की कृपा से मेरा हर बिगड़ा कम बनाने लगा