कभी खुशी कभी गम : ये जीवन भी अजीब होती है ।

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कभी खुशी कभी गम : ये जीवन भी अजीब होती है ।

एक बहुत बड़ा सेठ था जिसके बहुत बड़ा कारोबार था । एक कारखाने और एक मिल थे । उसके यहां हजारों लोग कम करते थे । रहने के लिए बहुत बड़ा बंगला गाड़ी घर भी ठौर काम करने के लिए कई सारे नौकर और नौकरानी थी । उसके यहां किसी चीज की कमी नहीं था ।

उस सेठ का एक ही लड़का और एक लड़की थी । कारोबार बहुत बढ़िया चल रहा था पूरे इलाके में उसका नाम था वो समाज में दूसरे का भी मदद किया करता था । उस सेठ की लड़की शादी के लायक हो चुकी थी इसलिए अपने लड़की की शादी बहुत ही अच्छे घराने में तय भी कर दिया था ।

जीवन कब और क्या हो जाए कोई भरोसा नहीं

किसी का भी कब क्या हो जाए कोई भरोसा नहीं । ठीक उसी तरह उस सेठ के साथ भी हुआ । एक दिन बिजली सट करने से कारखाने में आग लग गई और आग इतना बढ़ गई कि पूरा कारखाना जल कर  राख हो गई । मिल भी कारखाने के बिल्कुल पास था इसलिए मिल भी पूरी तरह से जल गया था ।

अब तो सेठ के ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा । कोई भी बड़ा काम लोन पर चलता है इसलिए ये सेठ भी कारखाना और मिल के नाम पर करोड़ों का लोन लिए थे अब तो इस सेठ के यहां कुछ भी शेष नहीं बचा था । अब तो कुछ दिन में बैंक का लोन चुकाने के लिए नोटिस पर नोटिस आने लगी ।

जब दुख आता है तो चारों तरफ से आता है ।

अंत में सेठ को बैंक का लोन चुकाने के लिए अपना बंगला गाड़ी जेवरात सब कुछ नीलाम करना पड़ा अब इसके पास कुछ भी नहीं बचा था । बंगला गाड़ी कारखाना और नौकर चाकर सब कुछ खत्म हो गया था । सेठ की गरीबी आने की वजह से इसके लड़की का रिश्ता भी टूट गया ।

अब तो सेठ अपने परिवार को लेकर दर दर की ठोकर खाना पड़ा । कल तक जिसके पास सब कुछ था जो दूसरों का भी मदद करता था । आज अपना परिवार का पेट भरने के लिए दूसरे के यहां मजदूरी करने लगे और फुटपाट पर अपना जीवन गुजरना पड़ा ।

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