मां काली का कृपा : किसान के लिए खेत ही उसका सब कुछ होता है

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मां काली का कृपा : किसान के लिए खेत ही उसका सब कुछ होता है

उतर बिहार में एक किसान का गांव था जहां के लोग खेती बारी कर के अपने परिवार का भरण पोषण करते थे । कमाने के लिए उन लोगों के पास खेती के सिवाय कोई रास्ता नहीं था । वहांके लोग खेती बारी पर ही आश्रित थे। खेती ही उन लोगों का सब कुछ था । दूसरा कुछ भी काम नहीं था ।

वो लोग खेत में जी तोड़ मेहनत कर के अनाज उगाया करते थे । वह दिन को दिन और रात को रात नहीं समझते थे । कड़ी धूप में भी जब लोग अपने घर और ऑफिस में रहते थे ताकि उन्हें धूप न लग जाए लेकिन वो लोग उसी धूप में अपना शरीर पका कर खेत में काम किया करते थे ।

किसान पर कभी कभी मुसीबत की पहाड़ टूटती है

एक दिन उन किसानों के ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ी । एक बार तीन साल से बारिश नहीं हो रही थीं और पूरे इलाके में सुखा पड़ गया था खेतों में दरार आ गई थीं । अब तो वह के लोगों को खाने पीने को भी मुश्किल होने लगे थे । सूखे की वजह से सारे इलाके में त्राहि माम डोल गया था ।

उसी गांव में एक काली मां की मंदिर था। लेकिन कोई भी किसी दिन उस मंदिर में जाकर पूजा पाठ नहीं किया करते थे । शायद उसी वजह से मा काली नाराज हो गई थी । इसी लिए उन सारे किसानों पर ऐसी मुसीबत आई थी । क्यों कि मंदिर बना कर बिना पूजा पाठ किए नहीं छोड़ना चाहिए ।

दुख में मां काली का ही सहारा मिला ।

सूखे से हो रही परेशानी में सारे गांव वाले को अब तो सिर्फ मा काली पर ही भरोसा रह गया था । क्यों कि इन लोगों के हर जगह से सारे रस्ते बंद हो गए थे । इसलिए अंत में सारे गांव वाले मिलकर मा काली के उपासना किया और नव रात्रि में नौ दिन तक सारे लोगों बरत में रहे और हवन कर के माफी मांगे फिर दुख हरने की गोहर लगाई ।

सारे गांव वाले की बिनती और पूजा पाठ से मा काली खुश हो गई । फिर कुछ देर के बाद काली मां के कृपा से बारिश होने लगी । अब सारे गांव वालो में खुशहाली छा गई । फिर से अब खेती बारी ठीक से होने लगी । सारे खेत लह लहलहाने लगे । उस दिन से अब रोज सारे गांव वाले मां काली की पूजा पाठ करने लगे और मां काली की कृपा से उन लोगों पर फिर से अब कोई परेशानी हुई

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