मासूमियत : लाइफ कैसे कब बदलती है ।

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मासूमियत : लाइफ कैसे कब बदलती है ।

मेरा कपड़ा का बहुत बड़ा दुकान था और जिस जगह पर मेरा दुकान थी बहुत अच्छी चल रही थी । चार स्टॉप भी अपने दुकान पर कम करने के लिए रखा था । मैं रोज प्रति दिन सुबह आठ बजे दुकान खोलता था और रात के दस बजे तक दुकान चलाया करता था ।

मैं घर का बड़ा बेटा था । इसलिए पापा जल्दी मेरा शादी करना चाहते थे । क्यों कि मम्मी बार बार पापा से यही बोलती थी कि अब घर का कम मुझसे नहीं हो रहा है और शादी के लिए भी बहुत सारे रिश्ते भी आया था । लेकिन मुझे कोई लड़की पसंद नहीं आ रही थी ।

जब कोई पहली नजर में भा जाती है ।

रोज की तरह उस दिन भी अपना दुकान समय पर खोला था । उस दिन एक लड़की मेरे मन को भा गई , क्यों कि मैं अपने काउंटर पर बैठा था । तभी एक लड़की अपने छोटे भाई को लेकर मेरे दुकान में आई थी । वो हाई फाई अमीर घराने की लड़की नहीं थी । वो गरीब घराने की सीधी साधि लड़की थी ।

वो दुकान में आते ही अपने भाई के लिए कपड़ा दिखाने के लिए बोला । स्टॉप ने उसे कपड़ा दिखाया फिर उसने उसमें से अच्छा सा एक कपड़ा निकाल कर पैक करने के लिए बोला । फिर उसके भाई ने अपने दीदी से बोला , दीदी आपकी कपड़ा नहीं है बस पुराने दो कपड़ों से काम चलाती हो इसलिए आप अपने लिए भी ले लो । लेकिन ये बोली हम बाद में पैसा बटोर कर ले लेंगे । यही बोलकर अपने भाई का कपड़ा लेकर पैस दी और चली गई।

उसकी मासूमियत मेरे दिल को भा गई

उसकी मासूमियत और दूसरे के बारे में सोचना मुझे बहुत अच्छा लगा । वो मेरे दिल को भा गई फिर मैं उसका पीछा किया और उसके पीछे पीछे उसके घर तक पहुंचा । उसके घर के पास पहुंच कर देखा तो वो वाकई बहुत गरीब घर की लड़की थी । टूटा फूटा मिटी और झोपडी का घर था

उसके आस पास पता किया तो सभ उसके नेचर और व्यवहार की तारीफ ही किया । सारे लोगों से उसकी तारीफ सुनकर मैं दिल से उसे चाहने लगा और अपने मम्मी पापा से कह कर अपने पापा को उसके घर रिश्तेके लिए भेजा और फिर मैं उससे शादी कर ली । आज उससे शादी कर के मैं बहुत खुश हु ।

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