भगवान शिव की महिमा : कभी कभी नादानी में भी अच्छा काम हो जाता है

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भगवान शिव की महिमा : कभी कभी नादानी में भी अच्छा काम हो जाता है

एक बार की बात है एक छोटे बचे ने खेलते खेलते मिटी से कभी गाड़ी बनाता था तो कभी हाथी घोड़ा फिर वो लड़का शिव लिंग बनाकर खेलने लगा और खेलने के बाद मिटी से बना शिव लिंग एक मजदूर के झोपडी के पास छोड़ कर अपने घर चला गया ।

लड़का जब शिव लिंग छोड़ कर गया था उस वक्त साम हो गई थी इसलिए उसके कोई भी ध्यान नहीं दिया ।
अगले दिन सुबह जब मजदूर सोकर जग और घर से बाहर निकला तो देखा झोपडी के बाहर दरवाजे के पास मिटी से बना शिव लिंग है ।

शिव जी के ऊपर बिस्वास जगा ।

वो मजदूर शिव लिंग देख कर बहुत खुश हुआ और उसे लगने लगा कि भगवान शिव खुद हमारे यह आए है । फिर वो मिटी से बना शिव लिंग को सीमेंट बालू से बनाया और वह साफ सुथरा कर के उसे पूजा करने लगा । भले ही वो कुछ भी भूल जाए मगर पूजा करना नहीं ।

गांव वाले उसे इस तरह की हरकत देख उसे पागल समझने लगे । कई लोग उसे समझाए कि यह एक लड़का खेलते हुए अपने खेल में मिटी का शिव लिंग बना कर यह छोड़ कर चला गया था । अगर पूजा ही करनी है तो मंदिर में जाकर करो और अपने कम पर ध्यान दो ।

भगवान शिव खुश होकर उसकी गरीबी दूर किये

लेकिन वो मजदूर उस गए वालो के बात पर थोड़ा भी ध्यान नहीं दिया और उसी शिव लिंग पर बिस्वास कर के उसे श्रद्धा भाव से रोज पूजा करता था और खुद खाना खाने से पहले उस शिव लिंग को भोग लगा कर ही खुद खाना खाया करता था ।

भगवान शिव अपने ऊपर इतना बिस्वास देख और इतना  श्रद्धा भैंसे पूजा करता देख बहुत खुश हुए और उसकी गरीबी को दूर कर दिया । धीरे धीरे इसकी झोपडी महल में बदल गई और ये मजदूर मजदूरी छोड़ कर बहुत बड़ा सेठ बन गया । ये मजदूर सेठ बन कर वही पर बहुत बड़ा शिव जी का मंदिर बनवाया । उस इलाका में उसके नाम की चर्चा होने लगी । अब ये दूसरे को अपने यहां कम करवाने लगा ।

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