श्रद्धा भाव : मा के भक्ति में मन लगना ।

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श्रद्धा भाव : मा के भक्ति में मन लगना ।

एक श्रेया नाम की अपने मा बाप की एकलौती लड़की थी । इसके पिता रमेश किसानी का कम करते थे । रमेश अपने बेटी श्रेया को बहुत ही प्यार के साथ पल था श्रेया भी बहुत संस्कारी और बुद्धिमान लड़की थी । ये पूजा पाठ मेजदा मन लगाती थी । ये मा दुर्गा की रोज पूजा पाठ किया करती थी ।

श्रेया कभी भी खाना बनाकर सबसे पहले मा दुर्गा की भोग लगाती थी । उसके बाद ही किसी को खाना देती थी या फिर खुद खाती थी । इस तरह से पूजा पाठ करना और सबसे पहले मा दुर्गा की भोग लगाना इसके पिता रमेश को बहुत अच्छा लगता था । इस तरह के आचरण पर वो बहुत खुश रहते थे ।

पिता को अपने लड़की के शादी की चिंता रहती है

धीरे धीरे श्रेया बड़ी हो गई इस लिए रमेश को इसकी शादी की छोटा सताने लगी । वो हर जगह लड़के के तलाश में लग गए । बहुत दौड़ धूप करने के बाद एक लड़का सेट हुआ और शादी तय हो गई । श्रेया के पिता एक किसान थे इसलिए सदी के लिए पैसे जुटाने में बहुत दिक्कत हुई । लेकिन किसी तरह सड़कर दिए

श्रेया की शादी एक साधारण परिवार में ही हुई थी । लेकिन इसकी सास बहुत खडूस थीं । श्रेया के ससुराल जाते ही उसके पति की नौकरी लग जाती है । जिस नौकरी के लिए उसके पति बहुत प्रयास किए थे लेकिन नहीं मिल रही तिलकीन इसके जाते ही उसके ज्वाइनिंग लेटर आजाती है अब सब लोग इसपर खुश हो जाते है ।

भक्ति भाव कभी बेकार नहीं जाता ।

श्रेया अपने ससुराल में भी उसी तरह मा दुर्गा की पूजा पाठ करती थी और खाना बनाने के बाद सबसे पहले दुर्गा मां को भोग लगाया करती थी । इसी वजह से इसके ऊपर हरदम दुर्गा मां का आशीर्वाद था करता था ।

एक बार की बात है इसके पति जहां नौकरी करते थे वह से फोन आया कि इसको गोली लग गई है और ये हॉस्पिटलम भर्ती है बचने का चंद नहीं है । डाक्टर भी जवाब दे दिया था लेकिन श्रेया मा दुर्गा के चरणों में चढ़ाया हुआ फूल लेकर हॉस्पिटल है और वो फूल मिस कर मा दुर्गा की नाम के कर अपने पति के मुंह में खिला दिया । फूल को खिलते ही ऐसा चमत्जकर हुआ कि इसके पति पूरी तरह से ठीक हो गया । ये सभ देख सब लोग अचंभित खा रहे थे लेकिन ये तो मा का चमत्कार था  ।

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