मूर्ति चोर : चोर का मन भक्ति में कैसे लगेगा ।

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मूर्ति चोर : चोर का मन भक्ति में कैसे लगेगा ।

एक गांव में भगवान कृष्ण की बहुत विशाल मंदिर थी । वह पर सोने चांदी की मूर्ति थी और भगवान कृष्ण को हीरा जड़ित मुकुट पहनाया हुआ था । इसी वजह से वो मंदिर उस इलाके की चर्चित मंदिर थी । उस मंडी में रोज सुबह से शाम तक भक्तों की काफी भीड़ लगा करती थी ।

एक दिन शाम को रोज की भाती भगवान की आरती लग रही थी । बहुत सारे भक्तों की भीड़ लगी थी । उसी भीड़ में एक चोर भी आया हुआ था । उस चोर का नन नंदू था । आरती लगते समय सबका मन भक्ति में था लेकिन नंदू मंदिर में भी चोरी का मन बना कर गया था ।

चोर चोरी करने का प्रयास करने लगा ।

भगवान की आरती लग जाने के बाद सारे भक्त प्रसाद लेकर अपने अपने घर चले गए लेकिन नंदू चोर वही पर रुक गया । रात को अकेला बहुत देर तक बैठे रहना देख उस मंदिर के पुजारी उससे पूछा कि बेटा बहुत रात हो गई है यह अकेले किसका इंतजार कर रहे हो ।

चोर पुजारी जी से झूठ बोल देता है कि बाबा मै किसी का इंतजार कर रहा हु । फिर पुजारी मंदिर में तला बंद कर के अपने घर चले गए । रात बहुत हो गई थी और वह पर अब कोई नहीं था । तभी चोर मौके का फायदा उठाकर मंदिर का तलाटोड़ कर मंदिर के अंदर चला गया ।

भगवान चोर कोबकैसे सबक सिखाए ।

चोर मंदिर के अंदर जाकर मूर्ति को उठा कर जो ही भागने की कोशिश की तभी भगवान कृष्ण की चमत्कार हुई । उसी वक्त चोर की हाथ पैर में लकवा मार दिया और ये दोनों आंख से अंधा हो गया । चोर वही पर गिर कर चिकने लगा तभी वह के आस पास के लोग वह आगे आर्चर को बहुत मर मरे ।

चोर बार बार माफी मांगने लगा और कहने लगा मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दीजिए । हम नहीं जानते थे कि भगवान की मूर्ति में भी इतनी शक्ति है । इसकी सजा मुझे मिल गई आप लोग मुझे माफ कर दीजिए । इसके गलती पर पछतावा होने पर गांव वाले इसे मारना छोड़ दिया और इसके झोली से मूर्ति निकल कर भगवान के जगह पर फिर से स्थापित कर दिया । उस दिन से चारों तरफ भगवान कृष्ण की महिमा की तारीफ होनेवलगी ।

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