
मिठाई की दुकान ; बचे मिठाई पर कैसे लोभित होते है ।
एक गांव में एक छोटा सा मिठाई की दुकान थी । उस दुकानदार के एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम रामू था । रामू कभी कभी अपने पापा के साथ अपनी दुकान पर बैठा करता था और दुकान से कुछ न कुछ मिठाई लेकर ही निकलता था । भले ही उसके पापा रोकते रहे ।

रामू को किसी लड़के ने अपने साथ नहीं खेलने देते थे क्यों कि वो काले रंग का था । रामू जब भी मुहल्ले के लड़कों के साथ खेलने का प्रयास करता था तो सारे लड़के उसे कौवा कौवा कह कर वहा से भगा दिया करता था । बेचारा रामू मायूस होकर अपने घर चला जाता था ।
लड़के मिठाई के लिए कुछ भी करते है
एक दिन रामू अपने दुकान से कुछ मिठाई लेकर मुहल्ले में एक जगह बैठ कर बड़े आराम से खा रहा था । रामू से कुछ दूर हट कर कुछ लड़के आपस में मिलकर खेल रहे थे । तभी वो लोग रामू को ढेर सरा मिठाई खाते देख कर सोचने लगे काश हमारे पास भी इतना मिठाई होता तो कितना अच्छा होता ।
तभी एक लड़का रामू के पास आकर बैठ गया और कहने लगा कि क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे । तभी रामू थोड़ा हट कर कहता है कि मैं तो काला हु तुम मुझसे कैसे दोस्ती करोगे । वो लड़का मिठाई की लालच में उससे कहता है कि मुझे माफ कर दो अब कभी नहीं कहेंगे और रोज तुम्हारे साथ खेलेंगे ।
भले मिठाई ही सही लेकिन दोस्त तो मिल गए ।
रामू उसे माफ कर देता है और उसे अपना मिठाई उसे खाने को दे देता है । रामू का दिया हुआ उस लड़के को मिठाई खाते हुए देख और भी सारे लड़के रामू से दोस्ती करने रामू के पास आगये और वो सभ भी उसके साथ दोस्ती करने के लिए बोलने लगते है ।
रामू अब बात खुश हो जाता है क्यों कि उसव्यक साथ अब इतने सारे लड़के दोस्ती के लिए बोल रहे थे रामू ये भी समझ गया था कि वो सभ इसके मिठाई के कारण सारे लड़के दोस्ती करना चाहते है लेकिन रामू इस बात से भी खुश था कि भले मिठाई ही सही लेकिन अब मुझे इतने सारे लड़कों के साथ खेलने को मिलेगा । अब मुझे अकेला नहीं रहना पड़ेगा ।