
एक तरफा प्यार : कॉलेज का दिन कुछ और ही होता है ।
बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पहली बार गया था । उस समय मैं काफी हैंडसम और स्मार्ट हुआ करता था । जब मैं पहाली बार क्लास में घुस रहा था तभी अचानक एक लड़की से टकरा गया । फिर मैं सौरी कह कर अन्दर चला गया और अपने पढ़ाई पर ध्यान देने लगा ।

जिससे मैं टकराया था वो भी लड़की उसी क्लास में पढ़ रही थी । उसका नाम संजू था वो मुझे बार बार देख रही थी लेकिन मैं इसे इग्नोर कर दिया । शायद वो मुझे चाहने लगी थी लेकिन मैं सुरभि नाम की लड़की को चाहता था इसलिए मैं किसी और पर ध्यान नहीं दे रहा था ।
जब दिल कही और हो तो सच्चा प्यार दिखाई नहीं देता ।
मेरे गांव से कुछ दूर हट कर सुरभि का गांव था मै कॉलेज जाने से पहले से ही इससे प्यार करता था । मैं अपने घर से पैसा चोरी करके सुरभि के लिए बहुत कुछ खरीद कर दिया था । मैं सुरभि से बहुत प्यार करता था , शायद अपने जन से भी जादा । इस लिए किसी दूसरे लड़की के तरफ ध्यान नहीं दे पाता था ।
कॉलेज में साथ पढ़ने वाली संजू से किताब की लेन देन करने से दोस्ती हो गई थी लेकिन दिल से प्यार सुरभि को ही करता था । इधर संजू मुझे चाहने लगी थी वो हर पल मेरा ख्याल रखती थी । अगर कभी भी मुझे कोई तकलीफ होती थी तो कोई आए या ना आए मगर संजू जरूर आती थी । मेरे हर सुख दुख में साथ देती थी ।
दर्द तो तब होती है जब अपना चाहत पूरा नहीं होता ।
एक दिन संजू ने मुझसे अपने प्यार इजहार कर दिया और बोला कि मैं तुम्हे अपने जान से ज्यादा चाहती हु । लेकिन मैं संजू के बात कोई केयर नहीं किया । मैं लांच लेकर नहीं जाता था लेकिन संजू खुद भूखा रहकर अपना लॉन्च बॉक्स मुझे दे देती थी लेकिन फिर भी मैं इसपर ध्यान नहीं देता था । एक दिन संजू के घरवाले इसकी शादी कही पर तय कर दी । तब संजू मुझसे शादी करने को बोली लेकिन मैं बहाना बना कर माना कर दिया ।
फिर संजू की शादी कही पर हो गई । मैं सुरभि से प्यार करता था इस लिए इसी से शादी भी करना चाहता था । एक दिन में सुरभि को फोन किया तो बोलती है कि मेरी शादी तय हो गई है और तुम मुझे भूल जाओ । आइंदा कभी भी मेरे पास फोन मत करना । यही कह कर फोन काट दीया ।
सुरभि के मुंह से ये बात सुन कर मानो जैसे मेरे ऊपर दुखो का पहाड़ टूट गया । मैं एकांत में जाकर रोने लगा और यही सोचने आगा की मै उस लड़की को जान से जादा चाहा जो मेरे प्यार को नहीं समझ पाई और दूसरे से शादी रचा ली । मैं इस बेवफा के प्यार में इतना दीवाना था कि संजू के प्यार की मै कोई कीमत नहीं समझ पाया । यही सोच कर पछता रहा था ।
ये कहानी और नाम सभी काल्पनिक है ।
लेखक — रविकांत मोहि