
बड़ा भाई : बादभाई अपना फर्ज एक पिता के तरह निभाता है
एक बहुत ही खुशहाल परिवार था और परिवार इसलिए खुशहाल था कि उस परिवार का बेटा सोनू दिन रात मेहनत कर के अपने सारे परिवार की जरूरत को पूरा करता था । सोनू अपने घर के लोगों का बराबर ख्याल करता था । बेशक खुद परेशानि में रहते हुए दूसरे की खुशी के लिए कभी अपना दुख नहीं जताया ।

सोनू के दो छोटे भाई भी थे लेकिन सोनू अपनि कमाई का सारा पैसा भाई को पढ़ने और घर का विकाश के लिए खर्च कर देता था । वह अपने छोटे भाईयो को एक बेटे के समान समझता था इसलिए उन लोगों को कोई तकलीफ नहीं होने दिया ।
भाई का दर्द कोई नहीं समझ पाता ।
धीरे धीरे सोनू के दोनों भाई बड़े हो गए और ये पढ़ लिख कर नौकरी भी पकड़ लिए थे । अपने दोनों भाई के नौकरी मिलने पर सोनू बहुत खुश था । वो यही सोच रहा था कि अब मेरे भाई नौकरी कर रहे है अब मेरे साथ घर के काम में हाथ बटाएंगे ।
सोनू के दोनों भाई नौकरी तो कर रहे थे लेकिन कोई पैसा घर पर नहीं भेजते थे । फिर भी सोनू यही सोच कर रहा था कि शायद अभी शादी ब्याह नहीं हुआ है इसलिए अपना जिंदगी जी रहे है । कोई बात नहीं शायद शादी ब्याह हो जाने के बाद घर के विषय में सोचने लगेंगे ।
अंत में बड़े भाई को कुछ नहीं हासिल होता ।
कुछ दिन बाद सोनू अच्छी सी लड़की देख कर अपने दोनों भाइयों की शादी भी करवा दी । सोनू के दोनों भाई पहले तो अपने भाई का कदर भी करते थे बेशक नौकरी का पैसा नहीं देते थे लेकिन शादी होने के बाद ये कदर करना भी भूल गए थे । एक दिन सोनू अपने दोनों भाई से बोला कि भाई अब तो परिवार बढ़ गई है । अब कुछ पैसा घर के लिए भी बीदा करना ।
तब दोनों भाई साफ साफ कह दिए कि भईया हम अपना अपना बीबी को लेकर हम परदेश में ही रहेंगे आप अपना देख लीजिएगा । तब सोनू ने कहा कि भाई इस तरह से तो परिवार बट जाएगा । अब मेरी भी बेटी कुछ दिन में शादी के लायक हो जाएगी । मैं अपना कमाई का सारा पैसा घर को बढ़ाने में और तुम लोगो को पढ़ने लिखने में खर्च कर दिया है ।
मैं अपने लिए कुछ भी नहीं रखा अगर तुम लोग नौकरी में होकर सपोर्ट नहीं करोगे तो कैसे चलेगा । तभी दो भाई साफ साफ कह दिए कि ये आपका समस्या है इसे आप ही समझो । वैसे भी आप मेरे लिए कुछ भी नहीं किया है । सोनू अपने भाइयों से इस तरह की बात सुन कर बहुत दुखी होता है और यही सोचता है कि बड़ा भाई को अंत में यही दर्द मिलता है ।यही सोच कर एकांत में रोने लगता है लेकिन इसका दर्द छोटा भाई नहीं समझ पाता ।
यह पात्र और घटना काल्पनिक है ।
लेखक – रविकांत मोहि