
बंदर और बिली की दोस्ती : भूख के कारण बिली का बुरा हाल था ।
एक बार की बात है कि एक बिली को बहुत तेज भूख लगी थी । वो अपने भोजन की तलाश में इधर से उधर घूम रही थी लेकिन कही भी उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला । जहां भी जाती थी लोग उसे डंडा से मरने पड़ जाते थे ।

कही भी खाना नहीं मिलने के कारण वो भूख से तड़पती एक छत पर जाकर बैठी थी और यही सोच रही थी कि लगता है मेरी जान एक दिन भूख के कारण निकल जाएगी । उस दिन उसे कही पर चूहा भी दिखाई नहीं दिया । ताकि अपना भूख मिटाने के लिए इसका भी उसका शिकार कर सके ।
कभी कभी जानवर भी किसी का तकलीफ समझता है ।
जिस छत पर बिली भूखा बैठी थी उसी छत से होते हुए एक बंदर जा रहा था । तभी बंदर की नजर अचानक उस बिली पर पड़ी । बंदर ने बिली को इस तरह बैठा देख उसका उदासी का कारण पूछा तो बिली अपनी सारी बात बता दी कि मैं भूख के कारण तड़प रही हु । कई घर घूमने के कारण भी मुझे कुछ भी खाने के लिए नही मिला ।
बिली का हाल जानकर बंदर को दया आ गई । फिर बंदर ने इसे संतावना दिया कि तुम चिंता मत करो । हम कही ना कही से तुम्हारे लिए खाने का व्यवस्था करता हु । जब तक हम कुछ लेकर ना आजाएं बस तुम यही पर बैठी रहना । यही कह कर बंदर वहां से चला गया ।
मुसीबत में एक दूसरे का साथ देना भी दोस्ती होती है ।
थोड़ी देर बाद बंदर केले का कुछ गुच्छा लाकर बिली को खाने के लिए दिया। बिली केला को खाकर अपना भूख मिटा ली । उस दिन से बिली बंदर का एहसान मानने लगी । फिर एक दिन बंदर का बच्चा भूखा था और बंदरिया नहीं थी तब बंदर ने ये बात बिली से बताई ।
बिली ने भी बंदर का तकलीफ समझते हुए उसने एक घर से दूध की बाटली लाकर बदर को दे दिया । बंदर ने अपने बचे की भूख मिटा दी । इस तरह से बिली और बंदर दोनों को आपस में गहरी दोस्ती हो गई थी । मुसीबत में दोनों एक दूसरे का साथ देते थे ।
यह पात्र और घटना काल्पनिक है ।
लेखक – रविकांत मोहि