छुपा छुपी का खेल  : शहर में पढ़ाई का बोझ ज्यादा रहता है ।

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छुपा छुपी का खेल  : शहर में पढ़ाई का बोझ ज्यादा रहता है

एक गांव का राजू नाम का लड़का अपने मा बाप के साथ शहर में रहकर वही पढ़ाई करता था । क्यों कि उसके पिता वही पर नौकरी करते थे । बाकी उसके दादा दादी और ताऊ लोग गांव पर ही रहते थे । इसके ताऊ जी गांव पर ही खेती किसानी का काम करते थे ।

इनके भी दो लड़के थे सोनू और मनु । राजू शहर में रहने के कारण वो शहर की तरह ही उसका रहन सहन और हाव भाव था । वैसे तो राजू की पढ़ाई बहुत बढ़िया थी लेकिन वहा पर उसे खेलने की ज्यादा छूट नहीं मिलती थी । क्यों की रोज समय पर स्कूल जाना फिर स्कूल से आने के बाद ट्यूशन करना और होमवर्क बनाना था ।

अपने गांव आने पर बहुत अच्छा लगता है ।

उसमें से अगर कुछ समय मिल भी जाती है तो ज्यादा देर बाहर घूमने का येलाउ नहीं था । इसलिए खाली टाइम में मै घर पर ही मोबाइल में कार्टून देखा करता था । कभी कभी छुटी के दिन संडे को कुछ लड़को के साथ क्रिकेट खेल लिया करता था बाकी कुछ नहीं ।

एक बार त्यौहार में अपने ममी पापा के साथ बीस दिन के लिए अपने गांव आने को मिला । ये बहुत खुश था क्यों कि बीस दिन पढ़ाई से छुटी रहेगी और गांव के वाता वरन में खेलने को मिलेगा । गांव पर अपने दादा दादी और ताऊ जी से मिलकर और भी खुशी मिली ।

गांव के जैसा खेल शहर ने नहीं मिलेगा ।

गांव पर ताऊ जी के लड़के सोनू और मनु मेरे साथ यहां पर खेलने के लिए मिल गए थे । मैं गांव का देहाती खेल अभी नहीं खेला था । क्यों कि शहर में गांव का खेल नहीं चलता । इसलिए एक दिन मैं सोनू मनु से उसके साथ यह का खेल खेलने को कहा ।

फिर सोनू मनु फिर हम और उसके कुछ दोस्त लोग छुपा छुपी खेलना शुरू कर दिए । हम में से एक लड़का चोर बना बाकी सभ इधर उधर छुप गए फिर चोर वाला लड़का को धापा करना । पूरा दिन यही खेलते रहे । गांव का ये छुपा छुपी खेल खेलकर बहुत माजा आया क्यों कि ऐसा खेल शहर में कहा से मिलेगा ।

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