दानी सेठ : मन और विचार भगवान के भक्ति में हो ।

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दानी सेठ : मन और विचार भगवान के भक्ति में हो ।

एक गांव ने एक सेठ रहा करते थे उसके दो बहुत बड़ा होल सेल किराने की दुकान थी । इसके दुकान में दस दस लोग काम किया करते थे । सेठ रोज सुबह सुबह भगवान की मंदिर में पूजा पाठ किया करते थे । और साम को प्रति दिन शिव जी को घी की आरती लगाया करते थे

सेठ का सौभाव बहुत दयालु और संत विचार के थे । वो भगवान की पूजा पाठ तो करते ही थे वो किसी भी दुखियारी को दान भी दिया करते थे और दान करते करते धीरे धीरे अपना दौलत और दुकान सभ गवा चुके थे भगवान शिव इसके सच्चे भक्ति और दूसरे के प्रति भलाई का भावना से बहुत खुश हुए ।

भगवान अच्छे लोगों की भवन परीक्षा जरूर लेते है ।

एक दिन भगवान शिव सेठ की परीक्षा लेने के लिए एक भिखारी का भेस बनाकर सेठ के दरवाजे पर पहुंचे ।उस समय सेठ अपने घर के अंदर खाना खाने बैठा था । तभी भगवान शिव उसी समय इसके दरवाजे पर पहुंच गए और दरवाजे से ही आवाज लगाए की बाबू भिक्षा देहु ।

कई बार आवाज लगाने पर भी सेठ नहीं आया क्यों कि सेठ अन्दर था और वहा तक आवाज नहीं पहुंच पाया । तभी सेठ के नौकर आया और बहाना बना कर इन्हें जाने को कह दिया । शंकर भगवान सभ देख रहे थे कि ये सेठ अन्दर खाना खा रहे है और आवाज अंदर तक नहीं जारही है ।

भगवान की परीक्षा में चूकना नहीं चाहिए ।

भगवान शिव वहां से चल दिए तभि कुछ देर बाद वो नौकर सेठ से बता दिया कि एक भिखारी आया था और मैं उसे यहां से भगा दिया हु क्यों कि गरीब और भिखारी को दान देने से ही आज सभ दौलत खत्म हो गई है । तभी सेठ आधा अधूरा खाना छोड़ कर उस भिखारी को ढूंढने चल दिए । इसकी बीबी और नौकर बहुत रोके लेकिन ये नहीं माने ।

सेठ उन भिखारी को गांव में बहुत जगह ढूंढे लेकिन वो नहीं मिल पाए । सेठ अपने आप पर बहुत पछता रहे थे और इधर उधर ढूंढ रहे थे । भगवान शिव सभ देख रहे थे कि सेठ किस तरह से परेशान है तभी शिव जी भिखारी बन कर सेठ को पीछे से आवाज लगाते है ।

भगवान अच्छे कर्म का फल जरूर देते है ।

सेठ भिखारी को देख कर बहुत खुश हुआ और फिर अपने घर लेकर गए । सेठ इन भिखारी से माफी मांगे और पूछे कि आपको क्या चाहिए । तब भिखारी ने सेठ से बोले मै तुम पर प्रसन्न हु तुम मुझसे मांगो कि क्या चाहिए । सेठ चकित होकर बोलते है कि बाबा आप यहां कुछ लेने आए थे तो आप मुझसे मांगिए , मेरे पास जो भी है मैं आपको जरूर दूंगा ।

तभी भगवान शिव अपने रूप में आ जाते है । सेठ साक्षात शिव को अपने सामने देख कर चकित हो जाता हैं । भगवान सेठ से बोले कि मैं तुम्हारे भावना और भक्ति से प्रसन्न हु इसलिए मैं तुमसे लेने नहीं बल्कि तुम्हें पहले से भी ज्यादा धन वापस करने आया हु । फिर भगवान शिव इसे आशीर्वाद दे कर अदृश्य हो गए और सेठ फिर से पहले से ज्यादा धनवान हो जाता है ।

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