कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती : सारे कुत्ते एक तरह का नहीं होते ।

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कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती : सारे कुत्ते एक तरह का नहीं होते

एक गांव में बहुत सारे कुत्ते रहते थे । कोई किसी के घर का  पालतू था तो कोई ऐसे ही लावारिस कुत्ते थे । कभी कभी सारे कुत्ते एक साथ झुंड बनाकर घुमा करते थे तो कभी ऐसे ही । वो आते जाते लोगो को कभी कभी परेशान भी किया करते थे ।

उन सभी कुत्तों में एक शेरू नाम का कुत्ता बहुत ही अच्छा था जो कि किसी को कभी भी परेशान नहीं किया करता था । इसके कारण सभी कुत्ते इसको देखकर नफरत किया करते थे वो सभी चाहते थे कि ये भी हम सभी के जैसा दूसरे को परेशान करे और सिर्फ हमलोगों का राज चले ।

कुत्ते भी कभी बिल्ली की मदद कर देता है।

एक दिन एक बिल्ली अपने बचे को साथ लेकर उधर से जा रही थीं तभी कुछ कुत्ते इसे देख कर हमला बोल दिया । बिली के साथ उसके बच्चे भी थे इसलिए वो मुसीबत बे पड़ गई । कुत्ते इसे और इसके बच्चों को झपटने लगे । बिली चिलाने लगी मुझे बचाओ मुझे बचाओ ।

तभी शेरू देख लेता है और आकर सभी कुत्तों से लड़कर उस बिली और उसके बच्चे को बचा लेता है । सारे कुत्ते वहां से चले जाते है और शेरू पर बहुत नाराज भी हुए थे लेकिन बिल्ली उस दिन से शेरू का एहसान मानने लगती है और उस दिन से शेरू और बिल्ली की आपस में बनने लगती है ।

समय आने पर दोनों एक दूसरे का सहारा बन जाते है ।

इसी तरह से जब भी बिल्ली उस रस्ते से जाती थी तो रुक कर शेरू से बात विचार जरूर करती थी । एक बार शेरू के मालिक तीन दिन से कही गया हुआ था । इस वजह से शेरू तीन दिन से भूखा प्यासा था । भूख प्यासा होने के कारण शेरू की हालत बहुत खराब हो गई थी ।

तभी अचना वही बिल्ली उस रस्ते से जारही थी तभी शेरू को इस हालत में देख कर इसका कारण पूछी तो शेरू ने कहा भूख और प्यास के कारन इस तरह हु । तभी बिल्ली तुरंत एक घर में गई और उधर से रोटी का बंडल ही लेती आई और फिर पानी की थैली भी लेकर आगई। शेरू तीन दिन से भूखा था इसलिए सारे रोटी खा गया फिर पानी पीकर बिल्ली को धन्यवाद कहा ।

इस कहानी के पात्र और घटना काल्पनिक है

लेखक – रविकांत मोहि

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