
भक्त और भगवान : कर्म शायद पूजा से बढ़ कर होता है ।
एक बार की बात है सोहन नाम का एक आदमी खेती बारी कर के अपना जीवन का भरण पोषण किया करता था वो खेती कर के ही किसी जरूरत मद लोगो की मदत भी किया जाता था । सोहन बहुत दयालु और भोला इंसान था । वह किसी का भी दुख नहीं देख सकता था ।

सोहन अपना कर्म करता था और लोगो की मदत करता था लेकिन अपने जीवन में कभी भी पूजा पाठ नहीं किया करता था । उस गांव में सभी लोग कुछ करे या ना करे लेकिन पूजा पाठ जरूर किया करते थे । बस सोहन ही था जो कभी पूजा पाठ तो दूर की बात है अपने जीवन में कभी मंदिर में भी नहीं गया था ।
भगवान भी किसी की सच्चाई जरूर जानना चाहते है
सोहन की ऐसी आदत को देख कर भगवान भी चकित हो गए थे कि आखिर ये धरती पर कैसा इंसान है जो आज तक ना कभी मंदिर गया और नाही कभी पूजा पाठ की । अगर गांव वाले इसे कभी मंदिर चलने और पूजा पाठ करने के लिए कहते भी थे तो ये कोई ना कोई बहाना बनाकर इस बात को टाल देता था ।
ये रोज सुबह अपने खेत पर जाकर फसल की देख भाल और खेती का काम करता और किसी भी इंसान या जानवर को तकलीफ में देख कर उसकी मदद जरूर करता था । सोहन को लोगों की सेवा करने में बहुत मन लगता था । कभी कभी अपना काम छोड़ कर भी लोगो की मदद किया करता था ।
एक दिन भगवान को भी आना पड़ा ।
एक दिन भगवान सोहन से मिलने के लिए साधु का भेस बदलकर धरती पर आए और सोहन के घर जाकर इसे मालूम किया कि ये कहा पर है तो घरवालों ने बताया कि वो खेत पर गए हुए है । तब भगवान जी पूछे कि खेत कहा है तो घरवालों ने खेत पर जाने का रास्ता बताया । तब भगवान जी खेत की तरफ चल दिए ।
भगवान जी खेत पर गए तो देखते है कि सोहन खेत में काम कर रहा था । फिर भगवान जी इसे अपने पास बुलाए । सोहन साधु को देख कर अपना गमछा बिछाकर इन्हें बैठते हुए पूछे कि साधुवार हम आपकी क्या सेवा कर सकते है । तब भगवान जी बोले कि हम तुमसे एक बात पूछने आए है ।
आगे की कहानी दूसरे भाग में मिलेगा ।