
भक्त और भगवान 2 : भगवान भी इंसान से मिलने उसके पास आही जाते है ।
तो सोहन ने कहा कि कौन सी बात है कि आप पूछने के लिए हमारे खेत तक चले आए । अगर कही जाने का पता पूछना था तो उधर ही किसी से पूछ लेते । इतना दूर आने की क्या जरूरत थी । तब भगवान जी मुस्कराते हुए सोहन से बोले कि मैं कही का पता पूछने नहीं आए है ।

बात तुम्हारे प्रति है और बात ये है कि मैने सुना है कि आज तक कभी तुम पूजा पाठ नहीं किए और नाही कभी तुम मंदिर गए । आखिर ऐसा क्यों , क्या भगवान से तुम्हे नफरत है ? तब सोहन से बोले कि नहीं ऐसा बात नहीं है । मैं यही सोचता हु कि अगर हम मंदिर जाने में पूजा करने में समय बिताएंगे तो मेरे खेत का कम बिलंब होगा ।
इंसान की पहली भक्ति उसकी इंसानियत ही है ।
बाबा हम अपनी कर्म को ही अपना पूजा मानते है और लोगो की सेवा करना ही अपना भक्ति मानते है । बस इसी में हम व्यस्त रहते है इसलिए कभी टाइम ही नहीं मिलता कि हम कभी भक्ति भावना करे । तब भगवान सोहन के मुंह से ये बात सुनकर चले जाते है ।
फिर भगवान सोचते है कि क्यों ना इसकी परीक्षा ली जाय । यही सोच कर भगवान फिर से धरती पर आते है और लंगड़ा बूढ़ा का भेस बनाकर उसी रस्ते में बैठ गए जिस रास्ते से सोहन को खेत पर जाने का रास्ता होता है । भगवान जी वही पर बैठ कर सोहन का इंतजार करने लगे ।
भगवान भी इंसान की इंसानियत देख कर खुश होते है ।
सोहन दोपहर में खाना खाने अपने घर जा रहा था । तभी भगवान जी इसे देख कर कराहने लगे और चिलाने लगे । तभी सोहन की नजर इनपर पड़ी तो पास आकर पूछे कि बाबा क्या तकलीफ है । तो भगवान जी बूढ़े के भेस में अपना तकलीफ बताते हुए कहते है कि मेरा कोई नहीं है मदद के लिए ।
सोहन इनकी बात को सुनकर अपने घर खाना खाने ना जाकर पहले इन्हें लेकर अस्पताल ले गए और इनका इलाज करवाया फिर अपने घर लाकर एक चौकी पर बैठा कर इन्हें भोजन करवाकर दवाई भी खिलाया । भगवान जी सोहन पर बहुत प्रसन्न होते है ।
फिर अपना असली रूप में आकर सोहन को अन धन सम्पन्न रहने की आशीर्वाद देते है और कहते है कि इंसान की असली भक्ति और पहला भक्ति दुखियारी जरूरत मंद लोगो की सेवा करना ही है । इसलिए मैं तुम पर प्रसन्न हु । सोहन बहुत खुश होता है । धीरे धीरे ये बात पूरे गांव तक फैल गई और उस दिन से सभी लोग एक दूसरे की मदत करने लगे ।