
अंध विश्वास : ज्यादा तर गरीब लोग यांत्रिक के चाकर में आ जाते है ।
एक जगह एक बहुत ही गरीबों की बस्ती थी जहां पर लोग मजदूरी या खेती कर के अपना गुजारा किया करते थे । वहा के लोगों की ज्यादा तर अनपढ़ ही थे और इसी वजह से उन लोगों की तबियत खराब होती थी तो सबसे पहले वो झार फुक करवाते थे , बाद में दवाई ।

इसी कारण मंदिरों में रहने वाले तांत्रिक बाबा इन लोगों को मूर्ख बनाकर बहुत पैसा कमाया करता था और लोगो में झूठ मूठ का भूत का भ्रम फैलाया करता था । ताकि लोग मूर्ख बने रहे और किसी भी बात पर सबसे पहले आकर झार फुक ही करवाए ।
तांत्रिक भी ज्यादा तर लोगो को मूर्ख बनाने का काम करते है ।
वहां के पढ़े लिखे कुछ बुद्धजीवी आदमी अगर इन लोगों को समझाते भी थे तो ये लोग उन लोगों का बात ना समझ कर तांत्रिक बाबा के चकरा में पड़े रहते थे । कभी कभी अपना पैसा तो गवाते ही थे साथ में दारू और मुर्गा भी बाबा के कहने पर इन्हें लाकर दिया करते थे ।
एक बार उसी बस्ती का एक लड़का था जिसकी तबियत खराब हो गई थी । लड़के के माता पिता यही समझे कि किसी ने इसे टोना कर दिया है तो इसे झरवाना पड़ेगा । बुद्धजीवी लोग इसे बहुत समझाए कि इसे सबसे पहले हॉस्पिटल लेकर जाओ , झार फुक के चाकर में अपना समय बर्बाद मत करो ।
कभी कभी समझदारी से काम करना चाहिए ।
बहुत समझाने पर भी ये लोग नहीं माने और तांत्रिक बाबा के पास लेकर आ गए । तांत्रिक बाबा इसे देखते ही कहने लगे कि इसे किसी ने टोना ही किया है । इसके ऊपर से टोना दूर करने के लिए दो बोतल दारू और एक देसीला मुर्गा लगेगा । लड़के के पिता देर ना कर के जल्दी से लाकर दे दिये और बोले कि बाबा जल्दी से मेरे बेटे को ठीक कर दीजिए ।
तांत्रिक ने इनसे फिर पैसों का डिमांड किया तो ये लोग पैसे भी लाकर दे दिए फिर झार फुक चालू हो गया । उस लड़के की तबियत और भी ज्यादा खराब होने लगी । क्यों कि इसे कोई टोना नहीं किया था बस एक मन का भ्रम था । तब कुछ लोग के कहने पर इसे डाक्टर के पास ले गए । डाक्टर से इलाज करवाने के बाद लड़का ठीक हो गया । उस दिन से उसे समझ में आ गई कि झार फुक के चाकर में नहीं आना चाहिए।