
शरारती हाथी का बच्चा : बच्चा तो बच्चा ही होता है चाहे इंसान का हो या जानवर का
एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे । उसी जानवर में कुछ हाथी भी रहते थे और उन हाथी का एक छोटा बच्चा था जो कि बहुत शरारती था । वो जंगल के सारे जानवर को छेड़ता रहता था सभी जानवर इस से परेशान थे । क्यों कि परेशानी की वजह यही था ।

हाथी के लिहाज से कोई भी जानवर उस हाथी के बचे को कुछ नहीं करते थे । क्यों कि समय समय पर उस जंगल से जनवर को हाथी मदद किया करता था । हाथी का सिद्धांत बहुत अच्छा था इसलिए अपने बच्चे को समझाया करता था कि तुम शरारत मत किया करो
शरारत इतना नहीं होना चाहिए कि किसी को तकलीफ हो
उस हथी का बच्चा अपने मा बाप का भी कहना नहीं मानता था । क्यों कि वो जानता था कि अगर कोई बात होगी तो हमारे पीछे मेरे मा बाप है । इसलिए कभी कभी तो अपने शरारती का हद पार कर दिया करता था । इतना शरारत करता था कि सारे जानवर को गुस्सा आ जाती थी ।
एक बार की बात है कि इसने एक लोमड़ी को छेड़ते छेड़ते परेशान कर दिया था । लोमड़ी बार बार इसे समझा रहा था लेकिन ये मानने को तैयार नहीं था लोमड़ी अंत में परेशान होकर सोच लिया कि लगता है कि इसको सबक सिखाना ही पड़ेगा । ये इस तरह से मनाने वाला नहीं है ।
शरारत का अंजाम तो भुगतना ही पड़ेगा ।
लोमड़ी भी बहुत चतुर था सारे जानवर इसके दिमाग की दात देते थे। लोमड़ी सोचने लगा कि कुछ ऐसा करना पड़ेगा कि इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए । तभी एक दिन कुछ शिकारी हाथी को पकड़ने जंगल आए हुए थे और इसके लिए वो एक गढ़ा बनाए थे ।
ये बात लोमड़ी को मालूम हो गई और हाथों के बचे को बहाना बना कर गढ़े के तरफ ले गया । हाथी का बच्चा शरारत में गढ़े के तरफ गया और उसमें गिर गया । शिकारी इसको शिकड़ में बांध कर लेकर चले गए । उस दिन से सारे जानवर सकून से रहने लगे ।