
अमीर और गरीब : दुनिया घूमने पर बहुत कुछ देखने को मिलता है ।
एक साधु अपने कंधे में झोली लटकाए पूरे दुनिया का भ्रमण करने निकले और घूमते घूमते एक नगर में पहुंच गए । साधु को उस नगर में पहुंचने तक काफी साम हो गई थी । फिर साधु एक पेड़ के पास बैठ कर सोच रहे थे कि साम हो गई है तो आखिर किसके पास ठहरे ?

तभी उस रस्ते से एक बहुत अमीर सेठ जा रहे थे । तभी साधु बाबा उस सेठ बोले कि बेटा मै एक साधु हु और दुनिया भ्रमण करने निकला हु और सुबह से चलते चलते साम हो गई है । मैं काफी थक गया हु और मुझे भूख भी बहुत तेज लगी है क्या तुम अपने घर ले चलोगे ?
पैसा से किसी का दिल बड़ा नहीं हो सकता ।
साधु बाबा के बहुत कहने पर भी वो सेठ इनपर थोड़ा भी दया नहीं किया और यही कह कर चला गया कि आज कल इनलोगों की यही बस यही रह गया है । सेठ के जाने के बाद साधु बहुत सोच में पड़ गया कि ये इंसान देखने में तो बहुत अमीर मालूम होता है लेकिन इनके पास दिल नहीं है ।
साधु पेड़ के पास बैठ कर यही सोच रहा था कि लोग के पास रहते हुए भी किसी पर दाया नहीं करते । तभी एक गरिब आदमी उसी रस्ते से मजदूरी कर के आ रहा था । तभी साधु बाबा इन्हें देख कर बोले कि बेटा मै साधु हु और मुझे भूख भी लगी है क्या मुझे कुछ खाने को दे सकते हो ।
गरीब के पास कुछ नहीं रहता है लेकिन बहुत कुछ होता है ।
उस गरीब आदमी ने साधु की बात सुन कर दया आ गई और बोला कि बाबा आप हमारे घर चलिए हमारे पास जो भी है मैं जरूर खिलाऊंगा । तब बाबा इनके साथ चल दिए । वो गरीब आदमी बहुत आदर के साथ साधु को घर में ले गया और उसके पास जो भी था उसे श्रद्धा से साधु बाबा को खिलाया ।
साधु भोजन कर के बहुत संतुष्ट हुए । फिर उसने खुद जमीन पर सोया और साधु को चौकी पर सोने के लिए बोला । साधु जी बहुत सोच में पड़ गए कि वाह रे दुनिया । जिसके पास सब कुछ है वो किसी को कुछ नहीं दे सकता और जिसके पास कुछ भी नहीं है वो अपना निवाला भी दूसरे को खिलाकर भी संतुष्ट होते है ।