
छुआ छूत : पैसा अपनी जगह है और इंसानियत अपनी जगह है ।
एक गांव में बहुत अमीर आदमी रहते थे । लोग इसे धनु सेठ के नामी से जानते थे । इनके पास बहुत सारी कंपनी और कपड़े की मिल थे और इन्हें खुद के लिए कई सारी गाड़िया भी थी । इनके कंपनी कारखानों में हजारों लोग काम किया करते थे और घर के लिए भी बहुत सारे नौकर नौकरानी भी थी।
धनु सेठ के पास बहुत दौलत थी और इलाके में इनका बहुत नाम भी था । लेकिन इनकी एक कमी भी थी ये निचले स्तर गरीब लोगों से बहुत नफरत भी करते थे । ये छोटे लोगों से अछूत की तरह व्यवहार करते थे । ये उन लोगों में सटना तो दूर की बात है ये बात भी करना पसंद नहीं करते थे ।

बच्चे क्या जानते है कि कौन छोटा है और कौन बड़ा ।
एक बार छोटे जाती गरीब का लड़का और धनु सेठ के लड़के में दोस्ती हो गई । धनु सेठ का लड़का अपने पिता की तरह नहीं था । इसलिए वो उस लड़के के घर भी जाकर कभी खाना खा लिया करता था । फिर एक दिन धनु सेठ का लड़का उस गरीब के लड़के को अपने घर खाने के लिए ले कर आया ।
धनु सेठ का लड़का और गरीब का लड़का एक ही थाली में एक ही साथ खा रहे थे । तभी अचानक धनु सेठ वहां पर आ गए और अपने लड़के को उस गरीब के लड़के के साथ एक ही थाली में खाते देख बहुत गुस्सा हुए । फिर गरीब के लड़के को मार मार कर घर से भगा दिया उस इलाके के सारे छोटे जाट के गरीब लोग धनु सेठ के व्यवहार से इनपर नाराज रहते थे ।
इंसान को जरूरत पड़ने पर सिख मिलती है ।
तभी एक दिन धनु सेठ खुद से गाड़ी चलाकर कही घूमने जा रहे थे । तभी रस्ते में गाड़ी बिगड़ गई और जिस जगह पर बिगड़ी थी वो छोटे लोगों की बस्ती थी । मकैनिक गाड़ी बना रहा था तभी बहुत देर के बाद धनु सेठ को प्यास लगी । बहुत देर प्यास बर्दाश्त करने के बाद जब नहीं रहा गया तो वहीं के एक व्यक्ति से पीने के लिए पानी मांगे ।
लेकिन लोग पानी देने से इंकार कर दिए और प्यास के कारण सेठ बेहोश हो गए । तब वहा के लोग इन्हें उठाकर अपने खाट पर सुलाकर चेहरे पर पानी छिड़के फिर अपने गमछा से ही चेहरे पर हवा दिए । तब जाके धनु सेठ आंख खुली और अपने आप को उस हालत में पाए । फिर धनु सेठ उन सभी लोगों से हाथ जोड़कर माफी भी मांगी और बोला कि भईया इंसान को इंसान से कभी नफरत नहीं करना चाहिए । फिर उन लोगों ने इन्हें पीने के लिए पानी दिया । तब तक गाड़ी बन गई थी और सेठ चले गए ।