भगवान के सहारे : कोई पढ़ाई में मन लगाता है तो कोई भक्ति में ।

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भगवान के सहारे : कोई पढ़ाई में मन लगाता है तो कोई भक्ति में ।

एक किसान के चार बेटे थे जिसमें की तीन लोग की सरकारी नौकरी थी और सबसे बड़ा वाला गांव पर ही मजदूरी करता था । लेकिन किसान के बड़ा बेटा भीमा भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था और सच्चा दिल का ईमानदार इंसान भी था । वो भगवान के पूजा पाठ में ज्यादा मन लगाया करता था ।

भीमा मजदूरी का काम करता था क्यों कि ये बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था । इसलिए इसके भाइयों की तरह इसे कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली थी । इसके के दो लड़का और तीन लड़की थीं । भीमा के तीनों भाई सोचे कि हमारे ही नौकरी के पैसा पर ये अपना परिवार पाल रहा है ।

दुनिया में कभी भी किसी को नीचा नहीं देखना चाहिए ।

एक दिन भीमा के तीनों भाई मिलकर भीमा को अलग कर दिया और बोला कि आज से आप अपना देखो और हम लोग अपना देखेंगे । अचानक भाइयों से अलग होने पर भीमा बहुत दुखी हुआ । लेकिन इसे अपने भगवान पर पूरा भरोसा था । क्यों कि भगवान विष्णु जी जो चाहेंगे वही होगा ।

भगवान विष्णु भी सभ देख रहे थे कि इनके भक्त को जैसे लोग अकेला छोड़ दिए । भीमा भी भगवान के मूर्ति के सामने हाथ जोड़ कर यहीं कहता था कि हे प्रभु अब आप ही देखिएगा मुझे बस आपका ही सहारा है । भगवान भी अपने भक्त को कभी मुसीबत में रहता नहीं देख सकते ।

भगवान अपने भक्त को कभी भी बे सहारा नहीं छोड़ते ।

शहर में लॉटरी चलती थी इसलिए एक दिन भगवान भिखारी बनकर भीमा के दरवाजे पर मांगने के बहाना आए और भिक्छम देहु कह कर बोले । भीमा भी इनको आदर के साथ खाना खिलाया और भिक्षा भी दिया । तब भगवान विष्णु भिखारी के भेस में ही इसे वो लॉटरी का टिकट दे कर चाले गए ।

भीमा वो लॉटरी के टिकट से दस करोड़ का इनाम जीत गया । उस दिन से भीमा के गरीबी के दिन खत्म हो गए । अब ये मजदूर से मालिक बन गया । ये अपना कंपनी चलाने लगा और इसके भाई इसे अलग कर के अब पछताने लगे । इसी लिए कहा गया है कि भगवान के सहारे जो रहता है उसे कभी तकलीफ नहीं होती ।

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