
चालाक दोस्त : दोस्ती अच्छा हो तो सभी लोग बड़ाई करते है ।
एक गांव में दो जिगरी दोस्त रहते थे । मनु और किसन , ये दोनों एक साथ घूमना फिरना और एक साथ पढ़ाई भी लिए थे । दोनों को आसपास में इतनी बनती थी कि इसके दोस्ती को पूरा गांव तारीफ किया करता था । दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । जहां जाते थे वो साथ में ही जाया करते थे ।

इन दोनों की दोस्ती की तारीफ तो पूरा गांव किया करता था लेकिन इन दोनों के घरवाले इसे बहुत डांटते थे । क्यों कि ये घर का काम में कभी मन नहीं लगाया करते थे । बस ये दोनों साथ में बिना काम के इधर से उधर बस घूमते रहते थे । इन दोनों के मा बाप बार बार कमाने के लिए बोलते रहते थे ।
बिना काम के घूमने पर घरवाले की डाट तो सुननी पड़ेगी
दोनों घर की डाट खा कर ऊब चुके थे । फिर ये दोनों एक दिन प्लान बनाए की कही बाहर चल कर नौकरी ढूंढ कर करते है । यही सोच कर ये दोनों एक दिन अपना घर छोड़ दिए और नौकरी की तलाश में निकल गए और जंगल के रस्ते पैदल ही जा रहे थे । इसलिए जाने जाते शाम हो गई तो एक पेड़ के पास ठहर गए ।
दोनों रस्ते के लिए घर से रोटी लेकर गए थे इसलिए रोटी खाकर भुख मिटा लिए और उसी पेड़ के पास आराम करने लगे । तभी कुछ लुटेरों की आवाज सुनाई दी और दोनों डर से उस पेड़ के ऊपर चढ़ गए । लुटेरों ने भी उसी पेड़ के पास आकर ठहरे फिर जो लुट कर लाए थे उसको आपस में हिस्सा लगाने लगे और मारने काटने की बात कर रहे थे ।
चालाक आदमी मुसीबत के समय अपना दिमाग लगा ही देता है ।
किसन लुटेरों की मार काट की बात सुन कर डर के मारे पेड़ के और ऊपर चढ़ने लगे । मनु इसे समझा रहा था कि वहीं पर बैठे रहो कुछ नहीं होगा । लेकिन किसन डर के मारे और ऊपर चढ़ते गए । तब तक पेड़ कुंडली साहित किसन नीचे गिर गया । किसान को गिरते ही मनु अपना दिमाग लगाया और चिलाने लगा । इंस्पेक्टर साहब सबसे पहले उन सभ के सरदार को पकड़ना ।
लुटेरे इंस्पेक्टर की नाम सुनते ही डर गए और अपना सरा लूट का समान छोड़ कर भाग गए । फिर मनु भी पेड़ से नीचे उतरा और किसन को उठा कर लुटेरों का सारा समान लेकर वहा से भाग आए । लुटेरों के समान में सोने चांदी और ढेर रस रुपए भी थे । किसन और मनु आपस में बाट लिए और उसी से अपना एक बिजनेस चालू कर लिए ।