
लावारिस : अनाथ के जीवन में कोई त्योहार , कोई खुशी नहीं रहती है ।
त्यौहार का दिन था चारों तरफ लोग अपने उमंग में नाच गा रहे थे । कही पर डी जे बज रहा था । और लोग नाच रहे थे । कही पर ढोल बजा रहे थे । लोग अपनी अपनी मस्ती में मस्त थे त्योहार में मेला भी लगा था । बच्चे भी अपने दोस्तो के साथ त्योहार का आनंद उठा रहे थे ।

उसी भीड़ से हट कर एक लड़का चुप चाप अपना मन उदास किए एकांत में बैठा था । जैसे कि इस त्योहार से उसको कोई मतला ही नहीं है । शरीर पर फटा पुराना कपड़ा और पैर में ना चप्पल थे नाही जूता । सर के बाल भी मैले बिखरे हुए थे और चेहरे पर काफी उदासी छाई हुई थी ।
दुनिया की खुशी देख कर अनाथ जीवन बहुत दुखी होता है ।
राजू नाम का एक लड़का अपने दोस्तो के साथ खेलते खेलते उधर गया तो इस लड़के को देख कर राजू बहुत सोचा । फिर राजू इसके पास जाकर पूछा कि भाई इस त्योहार भरी उमंग में सारे लोग अपनी अपनी मस्ती और खुशियां मना रहे हैं । तुम अपना मन उदास किए एकांत में बैठे हो ।
राजू की बात सुनकर वो लड़का कुछ नहीं बोला । राजू समझा कि लगता है इसके मा इसे डाट कर घर से निकाल दी है इस लिए राजू इसे समझाते हुए कहता है । भाई आज के दिन त्यौहार में इस तरह उदास नही रहना चाहिए । अगर तुम्हारी मां तुम्हे डांटी है तो हम तुम्हारे मा से बात करेंगे ।
दुनिया में कोई ना कोई जरूर किसी का सहारा बन जाता है ।
राजू की बात सुनकर वो लड़का रोने लगता है और रोते हुए राजू से कहता है कि भाई अगर मा होती तो ना मुझे डांटती । तुम लोग तो बहुत नसीब वाले हो कि तुम्हारे मा बाप भाई बहन और सगे संबंधी है । लेकिन मेरा तो इस दुनिया में कोई नहीं है । मैं अकेला ही इस दुनिया में अनाथ हु ।
यही कह कर वो लड़का और भी रोने लगता है । राजू को इसे अनाथ होने पर बहुत दया आई । फिर राजू इसे अपने साथ घर लेकर गया और इसे अपना दूसरा वहां नया ड्रेस पहना कर खाना खिलाया । फिर इसके कंधे पर हाथ रख कर राजू बोलता है कि आज से तुम अनाथ नहीं हो । आज से तुम्हारा दोस्त और भाई मै हु और आज से तुम मेरे साथ रहोगे । राजू की बात सुनकर वो लड़का खुश हो जाता है ।