हौसला : जमींदार की जमींदारी चलती है तो सान से ।

0
7

हौसला : जमींदार की जमींदारी चलती है तो सान से ।

हरि पुर नाम का एक गांव था जहां पर जमींदर लोगो की सासन में पूरे गांव वाले अपना जीवन व्यतीत करते थे । उस गांव में ज्यादा तर गरीब लोग ही रहते थे । इस गांव में जमींदार जो भी कहते थे वही होता था । जमींदार के बातों को काटने और टालने की किसी में भी हिम्मत नहीं थी ।

जमींदार वहा के लोगों को सुध पर पैसा देकर उनलोगों के जमीन गिरवी रख लिया करता था । लोग कर्ज का पैसा नहीं चुका पाने के कारण अपना जमीन से हाथ धो देते थे । फिर जमींदार की जी हजूरी और गुलामी किया करते थे और अपना सारा जीवन इसी तरह से बीता दिया करते थे ।

मजबूरी में दूसरे के आगे हाथ फैलाना ही पड़ता है ।

उसी गांव में गिरधर नाम का एक बहुत ही गरीब किसान रहता था । गिरधर के एक लड़का और एक लड़की थी । गिरधर वहां के जमीनदार से एक बार सुध पर पैसा लिया था और बदले में अपना जमीन का कागज गिरवी दे दिया । जमींदार गिरधर को दो साल का समय भी दिया ।

गिरधर दिन रात मेहनत कर के धीरे धीरे दो साल के अंदर ही जमींदार का पैसा चुक्क्ता कर दिया। । सरा पैसा देने के बाद गिरधर जमींदार से अपना जमीन का कागज लेने की बात कही तो जमींदार के मन में लालच भर गया और झूठ मूठ का सुध का पैसा बाकी है कह कर जमीन का कागज देने से मना कर दिया ।

तागतवर लोग के सामने लोगो को हारना ही पड़ता है ।

गिरधर जमींदार से ऐसी बात सुन कर बहुत टेंशन में हो गया । फिर गिरधर जमींदार के बहुत हाथ पैर जोड़े लेकिन जमींदार कागज नही दिया । फिर गिरधर हार मान कर पंचायत में गया और जमींदार को पैसा देने का सबूत भी दिया । लेकिन जमींदार के डर की वजह से पंचायत भी गिरधर को ही दोसी ठहराया ।

गिरधर पंचायत के फैसले से बहुत दुखी हुआ और दुखी होकर जमींदार से कहने लगा कि एक ना एक दिन भगवान इसकी सजा जरूर देंगे । इस बात पर जमींदार भी क्रोध में आकर कहने लगा कि कौन सजा देगा मुझे , कौन हराएगा मुझे। चलो हम तुम्हे एक नहीं दो मौका दे रहे है । अगर हमारे पहलवान को तुम कुश्ती में हरा दिए तो हम तुम्हे जमीन सौंप देंगे और उससे भी नहीं हुआ तो हमारे आदमी को दौड़ में हराना पड़ेगा ।

( आगे की कहानी दूसरे भाग में मिलेगा। )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here