न्याय : जिसका सिद्धांत और व्यवहार अच्छा हो तो पूरा समाज उसका सम्मान करता है ।

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न्याय : जिसका सिद्धांत और व्यवहार अच्छा हो तो पूरा समाज उसका सम्मान करता है ।

हरि पुर नाम का एक गांव था और उसी गांव में एक  धनबीर नाम का एक व्यक्ति रहते थे । ये  बहुत ही नेक दिल और एक अच्छे इंसान थे । धनबीर इसी अच्छाई की वजह से ये चार बार से अपने पंचायत से लगातार प्रधान बने हुए है । वहां के लोग धनबीर की बहुत इजात करते थे ।

धनबीर भी वहा के लोगो के हर सुख दुख में शामिल रहते थे । उस पंचायत में किसी भी तरह का विवाद हुआ तो वहां के लोग धनबीर के पास ही जाते थे और धनबीर भी उस विवाद को बिना किसी में भेद भाव के उन सभ का फैसला किया करते थे और वहा के लोग भी उनके फैसले से खुश रहते थे ।

अच्छे इंसान के जीवन मे भी कई तरह की परेशानी भी आती है ।

मगर बार ऐसा मोड़ आया जिससे कि धनबीर के जीवन में सब कुछ उथल पुथल हो गया । एक बार उसी गांव के रहने वाले बीर सिंह नाम के एक व्यक्ति जो कि धनबीर को लोगो में इस तरह की बाहबाही देख कर इसके मन में द्वेष और जलन पैदा हो गई । बीर सिंह के मन में धनबीर के प्रति नफरत पैदा हो गई ।

इस लिए वो धनबीर को समाज में नीचा दिखाने के लिए धनबीर के बेटे को अपने घर से गहने और पैसे चुराने का और धनबीर को उस गहने पैसे को छुपाने का इल्जाम लगा दिया। इसके लिए वो गांव में पंचायत भी बैठाई और सारे गांव वाले के सामने इसे समाज का कलंक और चोर बताते हुए इसे साबित भी किया ।

सच्चाई एक ना एक दिन सबके सामने आ ही जाती है ।

धनबीर और इसके बेटे अपनी सफाई देने की बहुत प्रयास किए लेकिन गांव वाले भी बीर सिंह के झूठे आरोप में आकर धनबीर को गलत समझने लगे और बहिष्कार भी करने लगे । धनबीर का बना बनाया इजात सभ खत्म हो गया । इसलिए प्रधानी और पंचायती से स्थिपा लेकर वो गांव छोड़ कर दूसरे जगह चले गए ।

धनबीर को गांव छोड़ने से बीर सिंह बहुत खुश था लेकिन झूठ ज्यादा दिन नहीं छुपता । एक दिन धीरे धीरे गांव वाले को बीर सिंह की सच्चाई मालूम हो गई कि धनबीर को नीचा दिखाने के लिए झूठा इल्जाम लगाया था । फिर सच्चाई को जानकार गांव वाले बीर सिंह को ही समाज से बहिष्कार कर दिया और धनबीर को फिर से बहुत मान सम्मान के साथ फिर से गांव वापस लाए ।

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