
कोशिश : शरीर की नाकामी मन को कमजोर बना देती है।
एक गांव में चंदू नाम का एक लड़का था जो कि बचपन से ही एक पैर से लंगड़ा था । इसके पिता कई जगह अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल में इलाज करवाए लेकिन चंदू के पैर में कोई सुधार नहीं हो रही थी । इसलिए चंदू के पिता हार मान कर चंदू को उसी हाल पर छोड़ दिया कि शायद नसीब में ऐसे ही लिखा है ।

चंदू जब भी किसी दूसरे लड़के को दौड़ते खेलते हुए देखता था तो इसके भी मन में यही चलता था कि कास हम भी उन सभी लड़कों की तरह दौड़ सकते और दौड़ते हुए खेल सकते तो मेरा भी बचपन खुशियों से भरी रहती । लेखी चंदू सिर्फ सोचने के सिवाय कुछ नहीं कर सकता क्यों कि वो मजबूर था ।
जब कोई किसी को ताना मारते है तो बहुत तकलीफ होती है।
एक दिन इसके पिता इसका एडमिशन एक स्कूल में करवा दिए ताकि कुछ पढ़ाई कर सके । चंदू बैसाखी के सहारे लंगड़ाते हुए रोज स्कूल जाया करता था । चंदू का मन पढ़ाई में लगता था लेकिन उसके स्कूल के कुछ शरारती बच्चे इसे हमेशा लंगड़ा कह कर चिढ़ाते रहते थे । चंदू मजबूर होकर एकांत में बैठ कर रोता था ।
एक बार इसी तरह चंदू लड़कों के चिढ़ाने पर एकांत में रो रहा था तभी एक टीचर ने इसे रोता हुआ देख इसका कारण पूछा तो चंदू अपनी लंगड़ापन और लड़कों को इसपर चिढ़ाने क़ि बात बताई । फिर टीचर चंदू को समझाते हुए हौसला देकर बोले कि बेटा इंसान को अपने आप से मन से अपाहिज नहीं मानना चाहिए ।
कोशिश करने से कामयाबी जरूर मिलती हैं ।
तुम खुद के बल चलने और दौड़ने का प्रयास करो शायद सभ ठीक हो जय । टीचर की बात चंदू को सूझ में आ गई और उस दिन से रोज सुबह ग्राउंड में जाकर चलने और दौड़ने का प्रयास करने लगा । अब लड़कों के चिढ़ाने पर ध्यान भी नहीं दिया करता था । बस रोज अपनी कोशिश में लगा रहता था ।
शायद इसकी कोशिश ही थी कि इसको एक दिन कामयाबी मिल गई । चंदू अब अपने पैर पर चलने लगा था और एक दिन तो कमाल ही हो गया । एक बार स्कूल में सारे लड़कों की दौड़ हो रही थी । चंदू भी इसमें भाग लिया था मगर ये देख कर सारे लड़के इसके हसी उड़ाने लगे ।
लेकिन अब दौड़ शुरू हुई तो सारे लोग देखकर चकित हो गए कि ये कैसे हुआ । चंदू सभी लड़कों से तेज दौड़ता था और सबसे तेज दौड़ कर जीत हासिल कर ली । सभी लोग यही सोच रहे थे कि आखिर ये कैसे हुआ । मगर बात वही है जो दिल से कोशिश करता है उसे कामयाबी जरूर मिलती हैं ।