
राजा का दुख : एक राजा तभी खुशहाल होगा जब उसके प्रजा खुश रहेंगे ।
हरी नगर नाम का एक राज्य था जहां के राजा भीम सिंह थे । जो कि बहुत ही अच्छे और नेक इंसान थे जो कि अपने प्रजा का हर समय ख्याल रखा करते थे । वहा के प्रजा की किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी । पूरे राज्य में चारो तरफ खुशहाली भरी हुई थी । अगर कभी भी किसी को कोई दिक्कत होती थी तो राजा भीम सिंह उसे तुरंत दूर करते थे ।

मगर एक बार की बात की राजा अपने महल में रानी के साथ बैठे हुए थे तभी उसी राज्य की एक प्रजा रोते हुए वहां पहुंच गया और कहने लगा कि महराज हमे बर्बाद होने से बचा लीजिए , दया किजिए महराज दया किजिए । तब राजा उसकी पुकार सुनकर तुरंत खड़ा हो जाते है ।
प्रजा परेशानी में राजा से ही फरियाद करते हैं ।
फिर उस आदमी से पूछते है कि आखिर क्या हुआ और किस तरह की बर्बादी की बात कर रहे है आप । तब वो आदमी हाथ जोड़ कर राजा से कहते है कि महराज हमारे चार लड़के है और चारों के चारों बहुत बीमार पड़े हुए है पता न उन सभ को क्या हो गया है । उन साभ को कई जगह इलाज करवाए मगर कोई फायदा नहीं हुआ ।
राजा उसकी बात सुन कर बहुत दुखी होते है और तुरंत अपने राज वैद्य को बुलवाकर उस आदमी के लड़के का तुरंत इलाज करने को कहे । राज बैद्य उसी समय उस प्रजा के साथ उसके घर जाकर उसके चलो लड़के का इलाज करना शुरू कर दिए । मगर वैद्य जी के इलाज करने से भी उन छतों पर कोई असर नहीं हुआ ।
परेशानी तो तब बढ़ती है जब हर कोशिश नाकाम होती है।
तब वैद्य जी ने राजा से कहे कि महराज इन सभा के रोग का कोई कारण पता नहीं चल रहा और नाही हमारे दवाई का कोई असर हो रहा है । ये सुन कर राजा और भी ज्यादा चिंतित हो गए और सोचने लगे कि आखिर कौन सी उपाय करे कि इस गरीब के चारों लड़के ठीक हो जाए । फिर राजा उससे बोले कि चिंता मत करो हम और कुछ सोचते है
राजा अपने महल में आकर सारे दरबारी को तत्काल बुलाकर बैठक किए और उस समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत कोई उपाय करने की बात बोले । दरबार के सारे लोग सोचने लगते है । फिर बहुत सोचने के बाद मंत्री ने राज से एक सुझाव दिए और बोले कि महराज अगर उन लड़कों का वैद्य जी से भी इलाज नहीं हो पाया और नाही रोग का कारण मालूम होता है तो हमारे समझ में तांत्रिक से भी सलाह लेनी चाहिए ।