Truth of life: जीवन का सत्य , जीवन में क्या है ये जानने के बाद लोगों को जरूर जानना चाहिए ।

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Truth of life

एक गांव में बिरजू नाम के बहुत बड़ा सेठ रहता था । इसके पास कई सारे राइस मिल और कई सारे कंपनियां भी थी । बिरजू सेठ का पूरे इलाके भर में बहुत बड़ा नाम था । इसके पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी, लेकिन जीवन का सत्य ” Truth of life: ” क्या है इसको मालूम नहीं था ।

बिरजू पहले इतना गरीब था कि इसके पास ठीक तरह से दोनों टाइम के लिए भोजन का भी व्यवस्था नहीं हो पाता था । लेकिन किसी तरह से किराने की दुकान शुरू किया और दुकान पर आने वाले ग्राहक को झूठ बोल कर ठगने लगा । रात दिन मेहनत कर के अनाज की बोरी ढोता था । इसी तरह से भाग दौड़ कर के लोगों से झूठ बोल के अमीर बना ।

जो जिस राह पर चलता है उसका संतान भी उसी रास्ते पर चलता है ।

बिरजू का एक लड़का था जिसका नाम रामू था और ये भी बड़ा होकर अपने पिता के तरह लोगो से झूठ बोलकर लोगों को ठगा करता था । रामू भी बिना खाए पीए दिन रात मेहनत किया करता और सिर्फ पैसों के पीछे ही भागा करता था । इसका भी अपने पिता के तरह सिर्फ पैसों की भूख था ।


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एक बार बिरजू एक दूसरे सेठ की मृत्यु होने पर शमशान गया था । वहा जाने पर बिरजू यही देखा कि बगल में एक बहुत ही गरीब की लास जल रही थी और पास में इसके दोस्त सेठ का लाश जल रहा था । ये सभ देख कर बिरजू बहुत चकित था कि शमशान घाट पर अमीर और गरीब में कोई फर्क नहीं है ।

हकीकत जान कर लोग समझ जाते है ।

लोग चाहे जितना भी अमीर हो , उसका दुनिया में कितना भी दब दबा हो , अंत में उसे सबकी तरह चिता पर ही जलना है ।। फिर कुछ देर बाद लास जलने के बाद दोनों की लास की राख को मिलाया तो उसे कोई फर्क नहीं दिखा । ये देख कर बिरजू को मालूम होने लगा कि जीवन का सत्य ” Truth of life ” क्या है

सोचने लगा कि दुनिया में लोग फिजूल के ही लोगों में भेद भाव करते हैं कि ये बड़ा है वो छोटा है , ये अमीर है वो गरीब है । शमशान घाट पर चिता में जलने के बाद सबकी राख तो एक जैसी है और साथ ही यहां से कोई कुछ लेकर नहीं जाता चाहे कितना भी दौलत कमाले । अंत में उसे दूसरे के लिए ही सब छोड़ कर चले जाना है । यही सोच कर बिरजू घर आया और सोचा कि अपने बेटे रामू को भी समझाऊंगा ।

यह पात्र और कहानी काल्पनिक है किसी के जीवन पर आधारित नहीं है ।

लेखक – रविकांत मोही

आगे की कहानी दूसरे भाग में मिलेगा ।

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