
एक गांव में हरि नाम का एक व्यक्ति था जो कि फुटबॉल का बहुत अच्छा प्लेयर था । हरि को बचपन से ही फुटबॉल खेलने का बहुत शौख था । इसलिए वो ज्यादा तर समय ग्राउंद में ही बिताया करता था । इसलिए फुटबॉल का एक माहिर खिलाड़ी बन गया था और लोग इस वजह से इसका तारीफ भी किया करते थे ।
इसके पिता जी इसे खेलने पर बहुत डांटते रहते थे लेकिन ये डाट खाकर भी नहीं मानता था । इसलिए इसके पिता परेशान होकर इसकी शादी कर दी । ताकि ये खेलना छोड़ दे और काम धंधे पर लग जाए । लेकिन हरि शादी होने के बाद भी खेलना नहीं छोड़ा इसके लिए जैसे फुटबॉल ही इसकी जिंदगी बन गई हो ।

हरी खेल में माहिर खिलाड़ी था
हरि जिस टिम में खेलता था उस टिम में जान आ जाती थी। हरि जाहां भी खेलने जाता था वहां से जीत कर ही आया करता था। लोग इसे फुटबॉल का चैंपियन कहने लगे । हरि का घर शील्ड और मैडल से भरा भरने लगा। साथ ही हरि के पिता भी उसे अब डटना छोड़ दीये और अब उन्हें अपने बेटे पर गर्व होने लगा था ।
हरि भी अब एक बेटे का बाप बन गया था और इसे भी हरि की तरह रुचि होने लगी थी । ये देख कर हरि भी इसे रोज ट्रेनिंग देने लगा और बड़ा होकर इसका बेटा भी बहुत अच्छा खिलाड़ी बन गया था । लेकिन हरि अपने बेटे को इंटर नेशनल खिलाड़ी बनाना चाहता था क्यों कि हरि अपना शौख अब अपने बेटे से ही पूरा करना चाहता था ।
हरी अपने बेटे को बड़ा खिलाड़ी बनाना चाहता था
हरि यही चाहता था कि हमारा तो बस अपने इलाके में ही नाम है लेकिन हमारे बेटे का पूरा दुनिया में नाम हो । यही सोचते हुए हरि अपने बेटे के लिए दिन रात मेहनत करता था और साथ ही इसका बेटा भी । इसी मेहनत की बदौलत आखिर हरि का बेटा इंटर नेशनल टिम में सलेक्शन हो गया
एक बार उस टिम का दूसरे देश के टिम से मैच था और हरि का लड़का ही कई गोल मार कर टिम को जिताया था । उस दिन से हरि के लड़के का पूरा दुनिया में नाम हो गया । हरि ये सब देख कर बहुत खुश हुआ और यही सोचने लगा कि आज मेरा बेटा मुझसे भी कई गुना ज्यादा नाम कमाया है । इसलिए आज ही मुझे जीवन का असली जीत मिली है ।