भगवान शिव की महिमा : भगवान अपने सच्चे भक्त को ज्यादा दुखी नहीं देख सकते ।

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एक गांव में एक हरि नाम का भिखारी रहता था । जो कि दूसरे के यहां भीख मांग कर ही अपने परिवार का पालन पोसन करता था । क्यों कि वो बहुत गरीब था और एक हाथ एवं एक पैर से अपंग भी था । इसलिए हरि के पास अपने परिवार का भरण पोषण के लिए भीख मांगने के अलावा कोई दूसरा रस्ता नहीं था ।

हरि के दो लड़का और एक लड़की थी । जो कि वो सभ अभी बहुत छोटे थे । इसे सहारा देने वाला कोई नहीं था । इसलिए हरि अपाहिज होते हुए भी अकेले ही भीख मांग कर अपने परिवार को खिलाता था । कभी कभी तो भिक्षा नहीं मिलने के कारण वो अपने परिवार के साथ भोले नाथ का नाम लेकर भूखे पेट ही सो जाता था ।

हरि भिखारी था लेकिन भगवान शिव का भक्त था ।

हरि भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था । ये रोज सुबह मंदिर जा कर भगवान शिव का दर्शन करता और उसके भाड़ ही भीख मांगने जाता था । इसे भीख में जो भी मिलता था । ये सबसे पहले शिव जी के शरण में चढ़ाता था । इसे भगवान शिव पर बहुत ही ज्यादा बिस्वास था

ये यही सोचता था कि हमें जो भी मिलता है वो सभ शिव जी के कृपा से ही मिलता है । हरि अपना सारा जीवन भोले नाथ के ऊपर ही सौंप दिया था । लोग इसकी हमेशा हसी उड़ाया करते क्यों कि ये भिखारी होते हुए भी खाने से पहले भगवान शिव को भोग लगाया करता था ।

आखिर भगवान को भक्त की परेशानी दूर करनी पड़ी ।

भगवान शिव भी हरि के सच्चे भक्ति भावना से बहुत प्रसन्न थे । इसलिए भगवान शिव एक बार इसकी परीक्षा लेने के लिए धरती पर आए । एक दिन हरि जब चारो तरफ से भिक्षा मांग कर अपने झोपडी में आया वो बहुत दुखी था । क्यों कि उस दिन भिक्षा बहुत ही कम मिली थी ।

तभी भगवान शिव भी ये भिखारी का भेस बनाकर हरि के यह जाकर खाने को कुछ मांगने लगे । हरि भूखे भिखारी समझ कर सरा भोजन इन्हें दे दिया । ये देख कर भगवान बहुत खुश हुए और अपने असली रूप में आकर इसे दर्शन भी दिए फिर आशीर्वाद के देकर हरि की सारी गरीबी भी दूर कर दिए ।

इसी लिए कहा गया है कि सच्चे भक्ति का फल एक दिन जरूर मिलता है ।

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