
चंदन पुर नाम का एक गांव था जहां पर हरि नाम का एक गरीब किसान रहता था । जो कि थोड़ा सा खेती कर के अपना परिवार चलाया करता था । हरि के दो लड़के थे । सोनू और मनु जो कि गांव के ही एक स्कूल में पढ़ाई किया करते थे । क्यों कि हरि के पास अपने लड़के को बाहर भेजकर पढ़ने की शौकास नहीं थी ।
उसी गांव में एक धनु नाम का सेठ भी रहता था । जो कि काफी पैसे वाला एक अमीर आदमी था । उसके घर में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी । धनु सेठ का भी दो लड़का था । चिंटू और मिंटू जो कि शहर के एक बहुत बड़े स्कूल में पढ़ाई किया करते थे ।

लड़के को घर , समाज और रीति रिवाज भी सिखाना ये बहुत जरूरी होता है ।
हरि के लड़के सोनू और मीनू पढ़ाई के साथ साथ अपने पिता के साथ खेती बारी में भी हाथ बटाया करते थे । हरि अपने दोनों लड़के को घर समाज में कैसे रहना है । बड़ों का आदर छोटो का प्यार और अपना रीति रिवाज भी सिखाया करता था । इसलिए ये दोनों अपने पिता के साथ साथ सबका आदर भी करते थे ।
उधर धनु सेठ अपने लड़के को पढ़ाई करने के लिए हमेशा अपने से और अपने समाज से दूर रखा । धनु यही समझता था कि हमारा बेटा ऊंचे से ऊंचे स्कूल में पढ़ाई करता है । यह गांव और यहां के संस्कारों में क्या रखा है । धनु अपने लड़के को हमेशा अपने समाज से दूर रखा ।
लड़के को संस्कार नहीं देने का नतीजा बहुत बुरा होता है ।
एक बार की बात है कि धनु के लड़के पढ़ाई पूरा कर के अपने गांव पर आए हुए थे । वो आने के बाद अपने पिता को सर सलाम भी कुछ नहीं किया । एक बार धनु के यहां गांव के कुछ लोग किसी काम से बैठे थे । उसी समय अपने लड़के से एक ग्लास पानी मांगा लेकिन धनु के दोनों लड़के साफ मना कर दिए ।
बोले कि आपका हाथ है ही इसलिए खुद ही ले लो पिता जी । ये देख कर धनु सेठ को बहुत दुख हुआ और वहां जो लोग बैठे थे वो बोल दिए कि भाई सबसे अच्छा तो हरि का ही लड़का है जो कि सबका मान सम्मान करता है । भले ही वो गांव पर छोटे से स्कूल में पढ़ाई किया हो ।
इसीलिए कहा गया है कि अपने लड़के को चाहे कितना भी बड़ा स्कूल में पढ़ालो मगर शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी सिखाना जरूरी होता है ।