
एक गांव में मूटन नाम का एक किसान रहता था । उसकी पत्नी का नाम सुनैना था । इनके दो लड़का और एक लड़की थी । लड़का का नाम राम और श्याम था । लड़की सबसे बड़ी थी जिसका नाम मंजू था । मूटन खेती बारी का काम करता था और उसी से अपने परिवार को हर खुशी दिया करता था ।
एक बार मूटन अपने पत्नी को साथ लेकर उसके मायके जा रहा था । तभी अचानक जिस गाड़ी से जा रहे थे उसका एक्सीडेंट हो गया और उसी एक्सीडेंट में मूटन और उसके पत्नी सुनैना दोनों की मृत्यु हो गई । इसकी सूचना इसके बेटी मंजू और लड़का राम , श्याम को मिली तो ये खबर सुनकर बहुत रोए ।

बड़ी बहन अपने भाई को एक मा बाप बनकर प्यार दे सकती है ।
मूटन और सुनैना के मौत के बाद अब इसके लड़के बिल्कुल अनाथ हो गए थे । इसे सहारा देने वाला भी कोई नहीं था । मूटन के नहीं रहने पर इसके पाटीदार और रिलेशन के लोग भी अब तो उसके लड़कों को बोझ समझने लगे । अब तो उन लड़कों को खाने को भी लाले पड़ने लगे और दर दर की ठोकर खाने लगे ।
मूटन की लड़की मंजू को अपने भाइयों का दुख दर्द देखा नहीं गया और ये अपने पिता की जगह खुद ही खेती बारी का काम खाने लगी । कभी कभी तो दूसरे के घर झाड़ू पोछा कर के अपने भाईयो को पालने लगी । मंजू अपने भाइयों को एक मा और एक पिता बनकर उनलोगों को हर खुशी देने लगी ।
मेहनत और त्याग जीवन को एक दिन सफल जरूर बनाती है ।
मंजू अपने भाइयों के जिम्मेदारी की वजह से खुद पढ़ाई नहीं कर पाई लेकिन अपने दोनों भाइयों को एक अच्छे स्कूल में पढ़ाई करवाया । उन दोनों को किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होने दी । राम और श्याम दोनों भाई धीरे धीरे बड़े हो गए और पढ़ लिख कर नौकरी की तैयारी करने लगे ।
मंजू खुद मेहनत करती थी लेकिन अपने दोनों भाइयों को मेहनत नहीं करने दी । कुछ दिन बाद दोनों की नौकरी लग गई और मंजू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । अब इन लोगों का जीवन खुशियों से बीतने लगा । पटीदार और रिलेशन के लोग भी अब इन सब से रिश्ता रखने के लिए अब दौड़े दौड़े आते थे ।