
एक दुल्हन अपने रुम में बैठ कर सिसकती हुई रो रही थी । कभी अपने बिस्तर पर बैठती थी तो कभी दरवाजे के पास जाकर राह देखती रहती थी । ऐसा मालूम होता था कि जैसे किसी की बहुत बेसब्री से इंतजार कर रही थी । आंखों में आंसू झलक रहे थे और बातों से किसी को आने का उम्मीद मालूम होता था ।
वैसे तो घर में बहुत सारे लोग रहते थे जैसे सास ससुर और तीन ननद थीं और तीन तीन देवर भी हसी ठिठोली करने के लिए थे । लेकिन फिर भी घर में इतने सारे लोग के रहते हुए भी वो दुल्हन अपने आप को अकेला महसूस कर रही थी । इसीलिए वो हमेशा उदास और खोई खोई सी रहती थी ।

नई नवेली दुल्हन को अपने पिता से प्रेम कैसा होता है ।
उसकी शादी के अभी एक साल हुए थे । इसकी शादी राजू नाम के लड़के से हुई थी । शादी की पहली रात से ही राजू अपनी पत्नी से बहुत प्यार करने लगा था । दुल्हन भी अपने पिता राजू से बहुत प्यार करती थी । पहली रात से ही दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए लैला मजनू की तरह चाहत बन गई थी ।
इन दोनों की प्यार भरी बाते इतनी थी कि रात चाहे कितनी भी बड़ी हो लेकिन कम ही पड़ जाया करती थी । तभी एक दिन आखिर वो दिन आही गई जिससे कि इन दोनों की जुदाई भी साहनी पड़ी । इसकी शादी के अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि राजू अपनी पत्नी को छोड़ कर परदेश कमाने के लिए चला गया ।
एक बिरहन की बिरह की तड़प कुछ और ही होती है ।
राजू जाते समय अपने पत्नी को दिलासा दे कर गया था कि हम परदेश से जल्द ही लौट कर आएंगे । दुल्हन उस दिन से ही अपने पति के यादों में हमेशा खोई रहती थी । रात को ना ठीक से नींद आती थी और ना ही उसे ठीक तरह से भूख लगती थी । बस पूरी रात अपने बिस्तर पर करवट बदल कर पूरी रात गुजार देती थी ।
इसी तरह से वो अपने पति को याद करते और इंतजार में राह देखते पूरे एक साल बीत चुके थे । तभी अचानक किसी ने आकर कहा कि राजू परदेश से आगया । ये सुनकर इसके मन में खुशी की एक उमंग की लहर दौड़ गई । फिर जब अपने पति को खुद के सामने देखा तो दौड़ कर गले लिपट गई । जैसे कि न जाने कितने वर्षों से प्यासी हो ।