
एक गांव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था । जो कि कपड़े का होल सेल व्यापारी था । रामू के एक लड़का जिसका नाम गोलू था और एक लड़की थी जो कि इसका नाम प्रीति था । ये दोनों अभी बहुत छोटे थे । तभी एक बार रामू की पत्नी की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई और इस वजह से इसकी मृत्यु हो गई ।
रामू के अभी दो छोटे छोटे बचे थे और उसे धंधे में भी जाना पड़ता था । बिना मा के बच्चों को परेशानी होने लगी । ये सभ देखते हुए गांव घर के लोग रामू को समझाते हुए शादी करने की दबाव डालने लगे । इसलिए बच्चों को देख भाल करने के लिए रामू को फिर से अपनी दूसरी शादी करनी पड़ी ।

रामू की दूसरी पत्नी आते ही अपना रंग दिखाने लगी ।
रामू अपनी दूसरी शादी करने के बाद बच्चों के प्रति कुछ टेंशन फ्री हो गया । कि हम बाहर अपना काम धंधा करने जाते है तो घर में बच्चों को देख भाल करने वाला कोई तो आ गया है । ये सोच कर रामू अपने काम के सिल सिला में कभी दो दिन तो कभी दस दिन बाहर ही रह जाया करता था ।
लेकिन रामू की दूसरी बीबी , कुछ दिन के बाद अपना रंग ढंग देखने लगी । बच्चों को प्यार दुलार देने की तो दूर की बात है । जिस दिन रामू नहीं रहता था उस दिन उन्हीं बच्चों से घर का सारा काम करवाती थी । फिर बात बात पर डांटने लगी और मारने लगी । कभी कभी तो उन दोनों बच्चों को पूरा दिन भूखा पेट ही रख देती थी ।
धीरे धीरे सौतेली मां की अत्याचार और भी ज्यादा बढ़ने लगी ।
रामू के दोनों बच्चे गोलू और प्रीति इस बात की शिकायत अपने पिता रामू से करते थे । तो रामू अपने पत्नी को समझाने की कोशिश करता था । लेकिन उसकी बीबी अपना झूठ का प्रपंच चालू कर देती थी । फिर रामू भी चाह कर कुछ नहीं कर पाता था । क्यों कि वो अपनी दूसरी पत्नी के आगे मजबूर हो गया था ।
इसी तरह से गोलू और प्रीति की सौतेली मां की अत्याचार दिन पर दिन बढ़ने लगी । कभी कभी तो दिनों के हाथ पैर गर्म चिमटे से जला कर भूखा रख कर घर से बाहर निकाल देती थी । इसी तरह दिन पर दिन अत्याचार बढ़ने के कारण एक दिन गोलू और प्रीति के मामा उन दोनों को अपने यह लेकर चले गए ।