पिता का महत्व : एक पिता अपने बेटे के लिए कितना त्याग कर के उसे पालता है ।

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एक गांव का सोनू नाम का एक लड़का था । ये अपने दोस्तो के साथ दिन रात इधर से उधर घूमता रहता था । फिर दूसरे लड़कों से बिना बात के झगड़ा भी करता रहता था । इसके पिता उसे बहुत समझाया करते थे । लेकिन वो अपने पिता के बात को कभी भी नहीं माना करता था ।

धीरे धीरे उसकी आदत और भी ज्यादा बिगड़ने लगी । ये दूसरों के साथ झगड़ा तो करता ही था । लेकिन अब तो ये नशा भी करने लगा था और शराब पीकर घर में  आकर अपने घर वालों से झगड़ा भी करने लगा । इसी करना इसके पिता गुस्से में होकर उसे दो थप्पड़ मार दिए ।

घर छोड़ने के बाद दूसरे को देख कर किसी को सीख मिलती है ।

अपने पिता के मरने से सोनू गुस्से में आकर घर छोड़ दिया और परदेश में जाने का फैसला कर लिया । सोचा कि कभी भी लौट कर अपने घर नहीं आयेंगे । यही सोचकर वो स्टेशन पर चला गया । वहा जाने पर सोनू देखा कि ठंड का मौसम था और इसी ठाढी में एक आदमी अपने बचे को लेकर वहा बैठा था ।

वो खुद ठाढी में ठिठुर रहा था लेकिन अपने बचे को ओढ़ाकर रखा था । फिर उसे भूख लगी तो अपने झोरे से रोटी निकाल कर पहला निवाला तोड़ ही था कि उसके लड़का खाने को मांगने लगा । वो आदमी अपना सारी रोटी अपने बेटे को दे दिया । शायद उसके पास अब और रोटी भी नहीं थी ।

दूसरे को देख कर आखिर समझदारी आही गई ।

सोनू ये सभ देख कर चकित हो गया कि एक पिता अपने बेटे के लिए कितना त्याग कर के उसे पालता है । एक मा बाप ही है जो खुद को भूखा रख कर भी अपने बेटे का पेट भरते हैं । ये सभ देख कर सोनू को सबक मिल गया कि बेटा कितना नालायक निकलता हैं कि अपने उस पिता का महत्व भी नहीं समझता ।

सोनू मन ही मन बहुत दुखी होने लगा कि हमने भी अपने पिता का मोल नहीं समझा और उनके मारने पर घर छोड़ कर भाग आए । यही सोच कर सोनू स्टेशन से ही अपने घर लौट आया और अपने पिता से माफी मांग कर ठीक से रहने लगा । अब तो ये नशा करना भी छोड़ दिया और परिवार वालों से मिल जुल कर रहने लगा ।

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