बेसहारा : कुछ ऐसे भी लोग है जो बेसहारा दर दर की ठोकर खाते रहते हैं ।

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रेलवे स्टेशन हर तरह के लोग आते जाते रहते थे । उस लोगों में से कोई अमीर रहता है तो कोई गरीब । मगर उन्हीं लोगों में कोई ऐसा भी होता है । जिसका कोई नहीं रहता । मुसाफिर तो आते जाते रहते है लेकिन वो इंसान जिसका कोई नहीं है वो वहीं का वही अपना सारा जिंदगी गुजार देता है ।

एक कंट्रक्शन कंपनी में काम करने वाला एक इंजीनियर जिसका नाम सूर्या था । वो अपने कंपनी से छुटी लेकर अपने परिवार के साथ अपने गांव जाने वाला था । वो  अपने बीबी बच्चों के साथ स्टेशन पर बैठ कर ट्रेन का इंतजार कर रहा था । ट्रेन अपने निर्धारित समय से काफी लेट थी ।

जो बेसहारा होता है उसे दुनिया भी ठोकर मारती है ।

सूर्या स्टेशन पर बैठा ही था कि उसकी नजर अचानक एक लड़के के ऊपर पड़ी । जो कि उसी रेलवे प्लेटफार्म पर मायूस होकर चुप चाप बैठा था । शरीर पर फटे पुराने कपड़े थे । पैर में ना चप्पल थे और नाही जूता थी । ऐसा मालूम होता था कि वो कई दिनों से भूखे पेट ही वहा पर बैठा था ।

इसलिए वहा पर अगर कोई कुछ खाते हुए उसे नजर आता था तो वो लड़का अपना माउस चेहरा कर के उन लोगों को देखते रहता था । वहा पर कई अच्छे घराने के लोग गाड़ी के इंतजार में बैठे थे । कई लोग की नजर उसपर पड़ती थीं । लेकिन कोई उसे खाने को नहीं देता था ।

वो तकदीर की बात है जो बेसहारा को सहारा देता है ।

कई लोग अगर अनजाने में उससे टकरा जाते थे तो उसे ही उल्टा डाट कर चले जाते थे । सूर्या वहा बैठ कर बहुत देर तक उसे देखता रहा । फिर कुछ देर बाद उसके पास गया और साथ में एक ब्रेड का पाकिट लेकर भी गया था जो कि उसे दे दिया । वो लड़का उसका दिया हुआ ब्रेड लेकर खाने लगा ।

फिर सूर्या उससे पूछा कि छोटू यहां पर तुम अकेले ही रहते हो कि कोई है तुम्हारे साथ में ? तब इतना पूछने पर वो लड़का रोने लगा और रोते रोते कहने लगा कि बाबू जी मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है । मै अकेला ही यहां जीवन गुजारता हूं । मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है । ये सभ सुन कर सूर्या के आंख में आंसू आ गए और फिर उस लड़के को अपने साथ लेकर चले गए ।

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