
राम नगर नाम का एक गांव था और उस गांव के मंटू नाम का एक लड़का था । लेकिन वो बचपन से ही अंधा था । इसलिए उसे कही भी अकेला आने जाने में बहुत परेशानी झेलनी पड़ती थी । मंटू इसी बात को लेकर हमेशा चिंतित रहा करता था । क्यों कि वो चाह कर भी और सभी लोगों की तरह जीवन नहीं जी सकता था ।
उसी गांव में बीरू नाम का भी एक लड़का रहता था । जोकि ये भी बचपन से ही दोनों कानों से बहरा था । इस वजह से इसे भी अपने जीवन में बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ती थी । ये लोगों की बात नहीं सुनने की वजह से इससे हमेशा उल्टा सीधा काम कर दिया करता था ।

मा बाप को अपने लड़के के की प्रति कितनी चिंता रहती है ।
इसी वजह से उन दोनों के माता पिता भी हमेशा चिंतित रहा करते थे । की इस तरह से उसकी जिंदगी कैसे कटेगी । यही सोच कर वो हमेशा परेशान रहा करते थे । फिर एक दिन मंटू के पिता इसके आंखों का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर के पास अस्पताल लेकर गए ।
उधर बीरू के पिता भी इसका कान का इलाज करवाने के लिए हॉस्पिटल लेकर गए हुए थे । हॉस्पिटल में कई सारे टेस्ट करवाने के बाद डॉक्टर ने साफ साफ मना कर दिया कि बचपन से ही इन लोगों की परेशानी है । इसलिए किसी भी हालत में इन लोगों का इलाज संभव नहीं हो सकता है ।
संजोग से कोई ना कोई सहारा जरूर मिलता है ।
ये सभ सुन कर मंटू बहुत टेंशन में आ गया और इस वजह से अपने पिता से बिना बताए हुए रोड पर निकल गया । रोड पर सामने से एक ट्रक आ रही थी । तभी बीरू रोड पर अंधे मंटू को देख कर दौड़ कर जाता है और उसे ट्रक से एक्सीडेंट होने से बचा लेता है । उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गई ।
दोनों में दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । फिर एक दिन बीरू अपना एक आंख मंटू के आंख में लगवा देता है । उस दिन से मंटू बीरू का भी हमेशा साथ देने लगा । जैसे कि दोनों एक दूसरे का साहारा बन गए थे । इस तरह से दोनों की परेशानी भी कम हो गई थी और दोनों की दोस्ती अब चारों तरफ चर्चा में आ गई थी ।