
एक गांव में रतन नाम का एक गरीब लड़का रहता था । वो इतना गरीब था कि जैसे तैसे किसी तरह अपने परिवार का दो वक्त का भोजन जुटा पाता था । इसकि सुनैना नाम की एक बहन थी । जो कि बड़ी हो कर शादी के काबिल हो गई थी । रतन अपनी बहन की शादी को लेकर हमेशा चिंतित रहा करता था ।
वो यही सोचता था कि हम इस गरीबी में जैसे तैसे अपने परिवार के लिए भोजन का व्यवस्था कर पाते है । ऐसे में अपने बहन की शादी का व्यवस्था कहा से कर सकेंगे । रतन दिन रात यही सोचते रहता था । फिर एक दिन इसके मन में एक ख्याल आया कि क्यों न हम परदेश जा कर काम करे ।

बहन की शादी के लिए परदेस में किस तरह से मेहनत किया करता था ।
रतन यही सोच कर अपने परिवार से सलाह लेकर परदेस कमाने चला गया और वहा जा कर अपनी बहन की शादी के लिए जी तोड़ मेहनत कर के पैसा कमाने लगा । रतन पैसा कमाकर अपने रुम में ही एक बेग में रख कर पैसा बटोरने लगा । ताकि बहन की शादी में कोई दिक्कत न हो ।
रतन को परदेस में ही एक लड़के से दोस्ती हो गई जो कि अपना नाम धनु बताया था । धनु रतन के लिए एक अंजान था । लेकिन रतन एक गरीब और सीधा साधा इंसान था । इसलिए रतन धनु से दोस्ती करने के बाद वो इसपर आंख बंद कर के उसपर भरोसा करने लगा । इसलिए उसे अपने रुम में भी बुलाकर बैठाने लगा ।
अंजान लोगों पर बिस्वास करने का अंजाम बुरा ही होता है ।
इसी तरह से धनु बार बार रतन के साथ उसके रुम में जा रहा था । एक दिन रतन धनु से अपने मन की बात बताते हुए उसे ये भी कह दिया । कि हम अपनी बहन की शादी के लिए इसी बैग में पैसा इकट्ठा कर रहे है और कुछ दिन में मुझे जितना पैसा चाहिए उतना पैसा इकट्ठा हो जाएगा ।
रतन उसपे बिस्वास कर के पैसों की बात बताया । लेकिन धनु के मन में लालच आ गई और एक दिन रतन काम करने के लिए कंपनी में गया था । तभी धनु इसके रुम पर आया और ताला तोड़ कर इसके पैसों वाली बैग लेकर भाग गया । रतन काम पर से आया तो देखा कि पैसे का बैग नहीं है । तब किसी दूसरे से मालूम हुआ कि धनु ही लेकर भागा है । तब रतन बहुत रोया और कहने लगा कि किसी भी अंजान लोगों पर उतना बिस्वास नहीं करना चाहिए ।