
यह एक हिंदी प्रेरक कहानी है , एक गांव में सरजू नाम का एक किसान रहता था । उसके और भी चार भाई थे । जो कि उन चारों के भी लड़के लड़कियां भी थीं । सरजू के भी दो लड़का और दो लड़की थी । उतना बड़ा परिवार सभी एक साथ मिल जुल कर रहते थे । इन लोगों में कभी भी आपस में कोई मतभेद नहीं हुई ।
सरजू का परिवार बहुत गरीब था । लेकिन इन लोगों को गरीबी में भी कभी कोई दुख का एहसास नही हुआ । क्यों कि सभ एक दूसरे के हर सुख दुख में कदम से कदम मिला कर चलते थे । इसके घर के औरतें भी कभी किसी बात को लेकर आपस में मत भेद नहीं करती थीं ।

किस तरह लोग परिवार की एकता को तोड़ देते है ।
इन सभ का संयुक्त परिवार और गरीबी में भी खुश रहना देख कर उसी गांव के कुछ लोगों के मन में जलन रहती थी । उन्हीं लोगों में हरि नाम का एक व्यक्ति था । जो कि सरजू के परिवार के खुशियों से बर्दास नहीं कर सकता था । इसलिए वो सरजू के परिवार तोड़ने के लिए सोच लिया ।
हरि सबसे पहले सरजू के भाइयों से दोस्ती किया और साथ में रह कर अपनी मीठी बातों से इन सब से बारी बारी से एक दूसरे का चुगली शिकायत कर के झगड़ा लगा दिया । जहां सरजू के सभी भाइयों में मेल रहती थी । वहीं अब लड़ने लगे थे और नतीजा ये हुआ कि ये सभी भाई आपस में अलग हो गए ।
समय पड़ने पर अपने ही साथ देते हैं ।
सरजू को बहुत दुख हुआ क्यों कि वो अपने परिवार को कभी अलग देखना नहीं चाहता थे । फिर इसी तरह से अलग होकर धीरे धीरे काफी समय बीत गई । एक दिन सरजू के छोटे भाई की लड़की की शादी थी और उसके पास पैसा बहुत कम पड़ रहा था । वो इसके लिए गांव में कई लोगों से मदद मांगी ।
फिर भी गांव के कोई भी लोग उसकी मदत नहीं किए । इस वजह से उसकी बेटी टूटने की नौबत आ गई और गांव वाले इसपर मजा ले रहे थे । तभी इस बात की खबर जब सरजू को हुई तो वो अपना सभ कुछ गिरवी रख कर अपने भाई के बेटी की शादी करने के लिए दे दिया । ये देख कर सरजू के भाई सरजू से माफी मांगे और बोले कि परिवार एक साथ रहे तभी अच्छा है ।