
यह एक हिंदी प्रेरक कहानी है , चंदन पुर नाम का एक गांव था , जहां पर दो किसान दोस्त रहते थे । एक का नाम रोहन था और दूसरे का नाम सोहन था । दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी । ये दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । दोनों अपना परिवार चलाने के लिए खेती बारी का काम किया करते थे ।
एक दिन खेत के किनारे बैठ कर दोनों दोस्त आपस में खेती बारी की बात करते थे । फिर बात बात में रोहन बोला कि भाई खेती बारी कर के हमारे परिवार का गुजारा नहीं चलता । इसलिए हम परदेस जाकर वही पर कुछ काम धंधा करेंगे । फिर साम हो गई तो दोनों अपने अपने घर आ गए ।

रोहन अपने दोस्त पर बिस्वास कर के उसे अपने परिवार की जिम्मेदारी सौंपा था ।
कुछ दिन बाद रोहन परदेश जाने लगा तो अपने दोस्त सोहन से बोला कि भाई मेरे बीबी बच्चों का ख्याल रखना । यहां पर तुम्हारे भरोसे ही अपने परिवार को छोड़ कर जा रहा हूं । सोहन ने भी उसे संतावना देते हुए कहा कि मित्र तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है । तुम्हारे परिवार को कोई दिक्कत नहीं होगी ।
रोहन अपने मित्र सोहन के भरोसे परिवार को छोड़ कर चला गया और परदेश में जाकर नौकरी करने लगा । यहां रोहन के बीबी के पास मोबाइल नहीं था । इसलिए सोहन के मोबाइल पर ही फोन कर के अपने परिवार का हाल चाल लिया करता था और वहा से कमां कर इसके पास ही अपने परिवार के लिए पैसा भेजा करता था ।
जब दोस्त की धोखेबाजी मालूम होता है तो बहुत त्याग होती है ।
यहां सोहन के मन में लालच आ गई रोहन का बिदा किया पैसा खुद ही रख लिया करता था । इधर रोहन के बीबी बच्चों को पैसे के बिना बहुत दिक्कत होने लगी यहां तक कि खाने को भी मुश्किल होने l रोहन कि बीबी जब सोहन से अपनी दुख की बात अपने पति से बताने को बोलती थी तो सोहन बात को टाल देता था । रोहन के परिवार भूख के मारे दर दर के ठोकर खाने लागे ।
मुश्किल इतना बढ़ गई कि बच्चे दूसरे के यहां भीख मांगने लगे और सोहन मदत करने के बहाने रोहन के बीबी की इजात के साथ खेलने लगा । कुछ दिन बाद जब रोहन अपने गांव आया तो अपने बीबी बच्चों की दुर्दशा देख कर बहुत दुखी हुआ । जब अपने दोस्त सोहन के की हुई धोखेबाजी के बारे में मालूम हुआ तो उसके ऊपर केस कर के उसे कानूनन सजा दिलवाया और समझ गया कि आज के समय आंख बंद कर के किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए ।