दिल का बोझ : जब अपने ही दर्द दिया हो तो लोग गम सहते है लेकिन किसी को बताते नहीं है।

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यह एक हिंदी मेरी कहानी है जो कि राज किशोर मजदूरी कर के अपने जीवन का सारा कमाई अपने बेटे को पढ़ाने में लगा दिया और जब बेटा काबिल बन गया तो उसी बाप को घर से बेघर कर दिया । जो अपना हर खुशी त्याग कर अपने बेटे के जीवन मे खुशियां दी । लेकिन बाप मजबूर है, इसलिए कुछ कर नहीं सकता ।

अपना दुख किसी से कह भी नहीं सकता । क्यों कि दुनिया ये बात जान कर उसके तकलीफ को कम करने के बजाय , अपने बातों से उसके दिल का दर्द और भी ज्यादा बढ़ा देगी । इसी लिए एक बाप अपने दिल का बोझ दिल में दबाए मन ही मन दुखी रहता है ।

एक बाप अपनी सारी खुशिया अपनी औलाद में ही ढूंढता है ।

एक गांव में राज किशोर नाम का एक गरीब मजदूर रहता था । जो कि अपने परिवार के भरण पोषण के लिए दिन रात मेहनत मजदूरी किया करता था । राज किशोर के दो लड़के थे । एक का नाम राम था और दूसरे का श्याम । राज किशोर अपने दोनों लड़को से बहुत प्यार करता था ।

उसके मन में यही था कि बेशक हम तकलीफ कर ले लेकिन हमारे दोनों लड़के को कोई दिक्कत न हो । राज किशोर यही चाहता था कि हम तो मजदूरी का काम कर रहे है । लेकिन हमारे दोनों लड़के को कभी भी मजदूरी नहीं करनी पड़े । वो उन को पढ़ा लिखा कर एक काबिल इंसान बनाना चाहता था ।

एक बाप किस तरह से अपने बेटे के लिए अपनी सारी खुशिया त्याग देता है ।

<span;>राज किशोर अपने दोनों लड़के को एक अच्छे स्कूल में नाम लिखवा दिया , जो कि उसके हैसियत में नहीं था । लेकिन ये अपने लड़को के भविष्य के लिए दिन रात मेहनत मजदूरी करने लगा और अपना हर खुशी , हर दर्द को सह कर पाई पाई पैसा बटोर कर अपने लड़के को पढ़ाया ।

धीरे धीरे समय साथ राज किशोर के दोनों लड़के बड़े हुए और अच्छे शिक्षा पाकर अपना पढ़ाई पूरा कर लिया । एक दिन राज किशोर का सपना पूरा हुआ और दोनों लड़के को अच्छे पद पर नौकरी भी लग गई । फिर दोनों की नौकरी लगने के बाद राज किशोर इन दोनों की शादी भी कर दिया ।

बेटा काबिल बनने के बाद अपने मा बाप को ही भूल जाते है ।

शादी होने के बाद दोनों अपनी अपनी पत्नी के साथ अपनी ऐसों आराम में लग गए । वो भूल गए कि हमारे मा बाप भी है । जो कि हमे खुद भूखा रह कर हमारा पेट भरे थे । खुद तकलीफ झेल कर भी हमे वो सारी खुशिया दी है । ये सभ भूल कर अपने मा बाप को घर से निकाल दिया ।

राज किशोर दुखी हो कर एक पेड़ के पास बैठा था । उसे दुखी देख कर उधर से आते जाते कई लोग उसके उदासी का कारण पूछा लेकिन वो किसी को नहीं बताया । उसकी बीबी किसी को ना बताने का कारण पूछी तो , राज किशोर यही बोला कि जब अपना ही खुद का औलाद दुख दिया हो तो किसी से हम क्या बताए ।

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