
ये एक हिंदी भक्ति कहानी है , जो कि हरि पुर गांव में एक बहुत बड़ा भगवान शिव का मंदिर था और उस मंदिर में देवानंद नाम का एक पुजारी भी रहा करते थे । जो कि उस मंदिर को देख भाल और पूजा पाठ किया करते थे । उस मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा जितना भी चढ़ावा चढ़ता था । वो सभ देवानंद ही अपने पास रखते थे ।
उस मंदिर में श्रद्धालुओं का हमेशा हुजूम लगा रहता था ।और वहां के लोगों के अंदर श्रद्धा भी बहुत थी । इसलिए दिल खोल कर दान पुन करते थे । उन श्रद्धालुओं के मन में देवानंद के प्रति बहुत सम्मान रहती थी । लोग उनको शिव जी का बहुत बड़ा भक्त समझते थे । इसलिए देवानंद के बात को वहा कोई नहीं टालता था ।
भगवान दिखावे से कभी खुश नहीं होते है ।

एक बार देवानंद जी बैठ कर अपनी सांस रोक कर आंख बंद कर के साधना कर रहे थे । लोग भी शिव जी के साथ साथ उनकी जयकारी लगा रहे थे । तभी एक बिरजु नाम का भिखारी उन्हें बहुत देर से देख रहा था और साधना खत्म होने पर देवानंद से पूछा कि पुजारी जी आप आंख नाक बंद कर के क्या कर रहे थे ?
तब देवानंद जी झूठ बोले कि हम आंख नाक बंद कर के भगवान शिव से बात कर रहे थे । ये सुनकर बिरजू के मन में भी भक्ति जाग गई और वो भी शिव जी से बात करने को ठान लिया । वो कहने लगा कि हम भी भोलेनाथ से बात करेंगे । बिरजू की बात सुनकर वहां पर सभी लोग उसका मजाक उड़ाने लगे ।
भक्ति में सच्चाई हो तो भगवान खुद ही आते है ।
बिरजू लोगो की हसी पर ध्यान नहीं दिया और बैठ कर अपना आंख नाक बंद कर के भोले नाथ की साधना में लग गया । इसको सास रोके हुए बहुत देर हो गई और अंदर से दम भी घुट रही थी । लेकिन ये भोलेनाथ से बात करने की जिद में था । अंत में भगवान शिव इसके भक्ति के जिद पर खुश हुए और प्रगट हो गए ।
साक्षात शिव को देख कर वह पर सारे लोग चकित हो गए । बिरजू से शिव जी बोले कि मैं तुम्हारे सच्चे मन की भक्ति से बहुत खुश हु , इसलिए तुम्हे सदा सुखी सम्पन्न रहने का आशीर्वाद देता हूं । यही कह कर भगवान शिव अदृश्य हो गए । फिर सारे लोग भोलेबाबा की जयकारी करने लगे और बिरजू के भक्ति को मान गए कि भगवान की सच्ची भक्ति ये होती है