
यह एक प्रेरक हिंदी कहानी है , जो कि बहुत ही अमीर घराने की संध्या नाम की एक लड़की थी जो कि अपने माता पिता की एकलौती और लाडली बेटी थी । इसके पिता का नाम प्रेमचंद और माता का नाम पार्वती था । प्रेमचंद के पास पैसा तो बहुत था लेकिन अपनी पत्नी के लिए प्यार करने का समय नहीं था। क्यों कि वो हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे ।
धीर धीरे संध्या शादी के काबिल हो गई और वो शहर के बड़े कॉलेज में पढ़ाई करने लगी । प्रेमचंद संध्या के शादी के लिए एक अमीर घराने का कामयाब लड़का के तलाश में लगे थे । ताकि संध्या जिस घर में शादी कर के जाए उस घर में हर सुख सुबिधा और ऐसों आराम हो जो यहां पाई है ।

संध्या को एक गरीब लड़के के साथ प्यार हो ही गया ।
संध्या जिस कॉलेज में पढ़ती थी , उसी कॉलेज में रोहन नाम का लड़का भी पढ़ता था । रोहन एक गरीब घर का लड़का था लेकिन पढ़ने में काफी तेज था । धीरे धीरे संध्या और रोहन में दोस्ती हो गई , फिर ये दोस्ती एक दिन प्यार में बदल गई । दोनों में इतना गहरा प्यार हो गया कि दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे ।
उधर संध्या के पिता प्रेमचंद एक अमीर घराने के लड़के से सांध्य की शादी तय भी कर दिया। संध्या को जब इस बात को खबर मिली तो वो शादी से इनकार कर दिया । वो अपने पिता से बोली कि हम एक लड़के से प्यार करते है जो कि गरीब है लेकिन वो मुझे बहुत प्यार करता है ।
जीवन साथी का सही मतलब क्या है वो संध्या बता दी ।
संध्या के पिया नाराज हो कर बोले कि तुम उस गरीब के साथ जीवन बताओगी , जिसके पास तुम्हे देने के लिए कुछ नहीं होगा ? संध्या अपने पिता से मुस्कराते हुए बोली कि पापा हमे दौलत से शादी नहीं करनी है , बल्कि उस लड़के से करनी है जो हमे प्यार दे सके , जो हमारे लिए समय दे सके ।
आपके पास भी बहुत पैसा है लेकिन आप भी मेरी मा को वो समय वो प्यार कहा दे सकते है , क्यों कि आपके पास तो टाइम ही नहीं है । पापा रोहन ही मेरे दिल में है और वो ही मुझे हर खुशी सकता है । जिसके साथ जीवन खुशी से बीत सके असली जीवन साथी वही होता है । अपनी बेटी की बात प्रेमचंद को समझ में आ गई और वो रोहन से शादी करने को मान गए ।