
यह एक हिंदी प्यार भरी कहानी है जिसमें की हरि नारायण नाम का एक जमींदार था जो कि रतन पुर गांव में एक जिद्दी और अड़ियल इंसान था । उसी गांव में प्रताप सिंह नाम का भी एक ऐसा ही व्यक्ति था जो कि अपने जिद्द और अहंकार के आगे किसी को भी नहीं चलने देता था । इसी वजह से दोनों में आपसी दुश्मनी चल रही थी ।
उन दोनों की दुश्मनी इतनी ज्यादा थी कि पूरे गांव वाले उन दोनों के झगड़े से हमेशा परेशान रहा करते थे । उन दोनों के एक एक संतान थे , जैसे कि प्रताप सिंह के एक लड़की थी जिसका नाम मीनू था और हरि नारायण का एक लड़का जिसका नाम सोनू था । ये दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ाई किया करते थे ।

एक साथ रहने के कारण दुश्मनी भी प्यार में बदल जाता है ।
हरि नारायण और प्रताप सिंह के बीच जितनी ज्यादा दुश्मनी तो , उन दोनों के औलादों में उतनी ही ज्यादा दोस्ती थी । फिर कुछ दिन बाद धीरे धीरे मीनू और सोनू में प्यार हो गया और प्यार इतनी गहरी हो गई कि ये दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । दोनों एक दूसरे को दिलों जान से चाहते थे ।
एक दिन सोनू और मीनू आपस में सलाह किए कि हम दोनों प्यार करते हैं तो क्यों न शादी कर ले ताकि दोनों के घरवालों की दुश्मनी भी खत्म हो जाएगी । यही सोच कर के दोनों अपने अपने घर पर बात रखे लेकिन दोनों के घरवाले इस बात पर राजी नहीं हुए वो किसी भी हालात में अपना जिद्द छोड़ कर दुश्मनी भुला कर रिश्ता नहीं जोड़ना चाहते थे ।
दो दीवाने आखिर घरवाले की दुश्मनी खत्म कर दी ।
उस दिन से दोनों की पढ़ाई भी बंद करवा दिए ताकि दोनों आपस मे नहीं मिल सकेंगे , लेकिन प्यार करने वाले कभी कोई भी बंधन नहीं रह सकते । दोनों छुप छुप कर मिला करते थे मगर एक दिन दोनों अपने घरवालों के बंधन से परेशान हो कर घर से भाग कर कोर्ट में शादी कर लिए ।
इस बात की खबर जब हरि नारायण और प्रताप सिंह को हुई तो दोनों गुस्से में आकर सोनू और मीनू पर गोली चला दिए । गोली लगने के बाद सोनू और मीनू बोले कि पापा हम नहीं जानते थे कि आप लोगों के नफरत के आग में हम दोनों की चिता जलेगी । आप लोगों के अहंकार प्यारी है औलाद नहीं ।
ये सुन कर हरि नारायण और प्रताप सिंह के आंख से आंसू आ गए । दोनों अपने अहंकार पर पछतावा करने लगे , फिर दोनों को तुरंत हॉस्पिटल ले गए और इलाज होने के बाद दोनों ठीक हो गए । उसके बाद हरि नारायण और प्रताप सिंह अपनी अपनी दुश्मनी भुलाकर गले लग गए , उसके बाद मीनू और सोनू शादी को स्वीकार कर लिए ।