
यह एक हिंदी भक्ति कहानी है , जो कि एक गांव में मंटू नाम का एक मजदूर रहता था , जो कि बहुत ही गरीबी के साथ अपने परिवार के साथ गुजारा करता था । मंटू के तीन लड़की और एक लड़का था और उसके के पत्नी का नाम सुनैना थी जो की वो हमेशा बीमार ही रहती थी । मंटू अपने कमाई का आधा हिस्सा अपने पत्नी के इलाज में लगा देता था ।
वो जैसे तैसे ही परिवार चला पाता था , उसके तीनों बेटियां भी जवान हो गई थी । इसलिए उसे ये भी चिंता लगी रहती थी कि इतनी गरीबी में अपने बेटियों की शादी कैसे करेंगे । उसे सहारा देने वाला भी कोई नहीं था । उसका लड़का अभी बहुत छोटा था , मंटू गरीबी के कारण अपने लड़के को पढ़ा भी नहीं सकता था ।

दूसरे की बात सुनकर मन में भक्ति जाग गई ।
एक दिन मंटू की पत्नी सुनैना अपने मैके गई और वहा दो चार दिन रहने के बाद सुनैना की एक सहेली पूनम से भेट हुई । फिर दोनों में हाल चाल होने के बाद बात बात में ही पूनम बोली कि जब से हम संतोषी मां का पूजा और हर शुक्रवार को उपवास करते हैं तब से हमारे सारे गरीबी और दुख दूर हो गए हैं ।
सुनैना को भी संतोषी मां की बात सुनकर बिस्वास करने लगी , क्योंकि पूनम भी पहले गरीब थी और आज उसके पास सभ कुछ है । फिर सुनैना जब अपने घर आई तो वो भी अपने घर में संतोषी मां का तस्वीर रख कर श्रद्धा भाव से पूजा पाठ कर के वो हर शुक्रवार को मा संतोषी का ब्रत करने लगी ।
भक्त की भक्ति देख कर संतोषी मां प्रसन्न हो है ।
सुनैना को व्रत करते हुए कई सप्ताह बीत गए , लेकिन अपने भक्ती में कोई कमी नहीं की । सुनैना की श्रद्धा भाव से भक्ति और उपवास करते हुए देख कर संतोषी मां बहुत खुश हुई । फिर एक दिन संतोषी मां सुनैना की परीक्षा लेनी चाही और एक बूढ़ी मां का भेस बदल कर उसके घर आई ।
बूढ़ी मां के भेस में संतोषी मां सुनैना घर के दरवाजे से आवाज लगाई । बोली कि मुझे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दो , सुनैना के पास थोड़ा सा भोजन बचा था , इसलिए वो सारे भोजन उस बूढ़ी मां को खुश होकर दे दी । संतोषी मां बूढ़ी के भेस में ही सुनैना को सदा खुशहाल रहो का आशीर्वाद देकर चली गई ।
सुनैना भूखे पेट ही सो गई और अगले दिन सुबह जब सो कर जागी तो वो देख कर चकित हो गई क्यों कि उसके झोपडी की जगह पक्के मकान बन गए थे और घर में सोने चांदी रुपया पैसा सभ भरे हुए थे । सुनैना बहुत खुश हुई और समझ गई कि ये सभ संतोषी मां का चमत्कार है ।