कन्यादान : कन्यादम करते समय एक बेटी के पिता के ऊपर क्या गुजरती है , वही जानता है ।

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यह एक हिंदी कविता कहानी है जैसे कि , कहा गया है बेटी अपने पापा की पारी होती है लेकिन जब एक पिता अपने बेटी की शादी करता है तो उसके दिल पर क्या गुजरती होगी । जिस बेटी को एक पिता बहुत लड प्यार से पोस पाल कर बड़ा करता है और उसे बड़ा होते ही उसका हाथ किसी दूसरे अंजान व्यक्ति के हाथ में दे देता हूँ ।

ठीक उसी तरह सरजू नाम का एक किसान था , जिसके बेटी का नाम प्रतिमा थी । सरजू अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था , वो अपनी बेटी को हर खुशी देते हुए उसे अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाई करवाया । प्रतिमा भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी , वो भी अपने पिता का हमेशा ख्याल रखती थी ।

एक पिता अपने बेटी को कितना प्यार से पालता है ।

धीरे से प्रतिमा बड़ी हो गई , लेकिन सरजू को अपनी बेटी अभी छोटी बच्ची ही लग रही थी । लेकिन कुछ आस पास के लोग सरजू से बात बात में कहने लगे कि भाई तुम्हारी बेटी अब बड़ी हो गई है, इस लिए कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसकी सादी करा दो । क्यों कि बेटी को समय से शादी कर देनी चाहिए ।

बेटी का शादी शब्द सुन कर सरजू बहुत दुखी हुआ, लेकिन समय और दुनिया का परंपरा देखते हुए सरजू अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का तलाश करने लगा । दुनिया में लड़का तो बहुत है लेकिन अच्छा सा लड़का देखने में सरजू के कई चपल भी घिस गए । फिर बहुत तलाश करने के बाद एक लड़का मालूम हुआ और शादी तय हो गया।

एक बाप के दिल का दर्द किस तरह आंख से आशु बनकर निकल जाते है ।

शादी के दिन पूरे घर में चहल हो रही थी, घर की औरतें गीत मंगल गा रही थी । कही पर बैंड बजा बज रहा था तो कही पर डी जे बज रहे थे । सारे लोग खुश थे , लेकिन दुल्हन के पिता सरजू जब अपने बेटी का हाथ दूल्हे के हाथ में देकर कन्यादान कर रहे थे तो उनके ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा ,

जैसे कि उनका करेगा निकल कर बाहर आगया हो । मगर क्या करे बेटी का बाप है , उन्हें ये दुख तो झेलना ही होगा । वो अंदर ही अंदर रो रहे थे लेकिन आंख से आंसू नहीं निकल रहे थे । वो अपने दर्द को अपने दिल में दबाए रखे थे , लेकिन सुबह में जब लड़की की बिदाई हो रही तो वो फूंका फार कर रोने लगे ।

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