मूर्ख राजा और चतुर रानी : अगर राजा मूर्ख हो और रानी चालाक हो तो क्या होगा ।

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यह एक हिंदी कविता कहानी है, जिसमें की भीसम पुर नाम का एक राज्य था , जहां का राजा बलि सिंह थे । राजा बलि सिंह के राज्य में ना कोई अनुशासन था और नाही कोई कैदे कानून , जिसको जैसे मन चाहे वैसे रहा करते थे । किसी को भी कोई बात की रोक टोक नहीं थी , क्यों कि महराज के दरबार के सारे दरबारी और मंत्री ही वहा के सर्वे सर्वा थे ।

मंत्री और दरबारी जो कहते थे महराज वही करते थे , क्यों कि राजा बलि सिंह को इतनी समझ नहीं थी कि वो खुद से कोई फैसला कर सके । इसी बात का फायदा उठाकर राज महल के सारे दरबारी के मन में लालच आ गई , वो सभ धीरे धीरे कर के सोने चांदी और पैसे राज कोस से लूटे जाते थे ।

महराज के मूर्खता का फायदा सबसे पहले मंत्री उठाना चाहता है ।

एक बार राजा की मूर्खता और ना समझी को देख कर मंत्री के मन में लालच आ गई , वो सोचने लगे कि क्यों ना महराज के मूर्खता का फायदा उठाकर इस राज्य का राजा मै खुद ही बन जाऊ । इसलिए मंत्री एक दिन महराज की चापलूसिं करते हुए बोले कि महराज आप मेरे रहते ज्यादा टेंशन क्यों करते हैं ।

अगर मेरे रहते आपको परेशानी हो तो मुझे रहने से क्या फायदा , अगर आप चाहे तो मैं आपका टेंशन और जिम्मेदारी मै संभालने को तैयार हूं । राजा बोले कि ये कैसे , तब मंत्री बोले कि महराज आप तो राजा हैं ही और हमेशा रहेंगे , लेकिन दुनिया के नजर में मुझे राजा बना देते हैं तो आपका सारा जिम्मेदारी मै संभालुंगा ।

रानी किस तरह अपने चतुराई से फिर से राज्य को बचा ली ।

मंत्री की बात सुनकर महराज मान गए और मंत्री को राजा बनाने को बोल दिए । मगर ये बात महारानी लता मंत्री की चाल समझ गई । इसलिए रानी लता महराज से बोली कि , महराज मै आपकी धर्म पत्नी हु इसलिए सबसे पहले मुझे आपका जिम्मेदारी लेने का हक है इसलिए आप अपनी जगह मुझे दे दीजिए ।

राजा महारानी लता की बात सुनकर मान गए और रानी लता की अपनी राज्य की जिम्मेदारी दे दिए । रानी लता जिम्मेदारी पाते ही सबसे पहले सारे लालची दरबारी और मंत्री को निष्काशित कर दिए । वहा फिर से नए ईमानदार मंत्री और दरबारी भर्ती किए और अनुशासन के साथ राज्य को चलाने लगी । इसलिए रानी लता की चतुराई से राज्य फिर से बर्दाद होने से बच गया ।

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